डीएनए हिंदी: भारतीय राजनीति में प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने खुद को इतना प्रासंगिक बना लिया है कि सियासी पार्टियां जोर-आजमाइश करती हैं कि वह उनके दल में शामिल हो जाएं. वजह प्रशांत किशोर की लोकप्रियता नहीं उनकी चुनावी रणनीति है. 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के लिए उन्होंने कैंपेनिंग की थी और नतीजे अभूतपूर्व रहे थे.
जीत के सबसे बड़े फैक्टर खुद मोदी जरूर रहे लेकिन प्रशांत किशोर की कैंपेनिंग की तारीफ हर किसी ने की. 4 साल बाद उनका मोदी सरकार से मोहभंग हुआ तो उन्होंने जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) का हाथ थाम लिया. जेडीयू में भी वह किसी कार्यकर्ता या छुटभैया नेता की तरह नहीं गए. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष तक बना दिया था. तल्खियां बढ़ी और प्रशांत किशोर ने JDU का साथ भी छोड़ दिया.
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एक जगह ठहरते नहीं हैं प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर साबित करते रहे कि उन्हें एक जगह ठहरना नहीं है. पार्टियां बदलेंगी, बदलती रहेंगी. अब कांग्रेस में जाने के लिए प्रशांत किशोर बेताब हैं. दोनों के बीच कई स्तर की वार्ता चल रही है. 8 साल की राजनीति में एक बात प्रशांत किशोर ने ठीक सीख ली है कि जहां जाओ, पूरे दम-खम से जाओ. टिकना इतना भी जरूरी नहीं है.
क्या है प्रशांत किशोर की राजनीतिक महत्वाकांक्षा?
प्रशांत किशोर अगर दूसरों के लिए रणनीति तैयार कर सकते हैं तो खुद के लिए भी कर सकते हैं. अपनी कैंपेनिंग लगता है प्रशांत किशोर खुद कर रहे हैं. उन्हें अपनी कीमत का अंदाजा है तभी वह तृणमूल कांग्रेस (TMC) से लेकर कांग्रेस (Congress) तक मोलभाव करने से पीछे नहीं रहे.
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अब प्रशांत किशोर कांग्रेस को मजबूत करना चाहते हैं. वह चाहते हैं कि कांग्रेस एक बार फिर से सत्ता में आए. मई 2021 से ही वह कांग्रेस के साथ गंभीर वार्ता के लिए इच्छुक दिख रहे हैं. उन्होंने ही सुझाव दिया था कि एक बार कांग्रेस अध्यक्ष का पद किसी 'गैर गांधी' के हाथ में जाए. यह सुझाव कांग्रेस अलाकमान को कितना पसंद आया यह प्रशांत किशोर को मिलने वाले पद पर निर्भर करेगा.
कई राउंड की मुलाकात कर चुके हैं प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर कई बार सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से भी मुलाकात कर चुके हैं. मई में तो प्रशांत किशोर जब सोनिया गांधी से मिले थे तब वह पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के लिए कैंपेनिंग कर रहे थे. ठीक एक महीने बाद प्रशांत किशोर कांग्रेस को फिर से मजबूत करने का फॉर्मूला अलाकमान को दे रहे थे. वह लगातार प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के संपर्क में भी बने रहे हैं.
NCP-TMC का क्या है फैक्टर?
प्रशांत किशोर को हर राजनीतिक दल अपनी ओर खींचना चाह रहा है. हाल ही में उन्होंने नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) से मुलाकात की थी. अटकलें तो यह भी लगाई गईं कि वह तृणमूल कांग्रेस और नेशनिल्ट कांग्रेस पार्टी के विलय की पटकथा भी लिखना चाह रहे थे. स्थितियां ऐसी नहीं थीं. अगर एनसीपी और टीएमसी से विलय हो जाए तो मुश्किलें कांग्रेस की और बढ़ जाएंगी.
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गोवा विधानसभा चुनावों के लिए भी वह रणनीति तैयार करने में जुटे थे. उनका वह बयान भी सबको याद है जब उन्होंने कहा था कि विपक्ष का नेतृत्व किसी व्यक्ति का दैवीय अधिकार नहीं है, खासकर जब पार्टी पिछले 10 वर्षों में 90 प्रतिशत से अधिक चुनाव हार गई हो. अब उसी पार्टी में जाने के लिए प्रशांत किशोर छटपटा रहे हैं.
कब कांग्रेस में शामिल होंगे PK?
ऐसा दावा किया जा रहा है कि एक सप्ताह के भीतर प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. सोनिया गांधी ने प्रशांत किशोर से मुलाकात को दूसरी राजनीतिक पार्टियों की तरह गुप्त नहीं रखा है. उन्होंने इस विजिट को सार्वजनिक कर दिया है. देखने वाली बात यह है कि प्रशांत किशोर कब कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं. सोनिया गांधी कुछ भी छिपाना नहीं चाह रही हैं, ऐसे में पीके पर फैसला भी गुप्त तरीके से नहीं होने वाला है. फिलहाल रानजीति के जानकार सवाल उठा रहे हैं कि पहले बीजेपी, जेडीयू, टीएमसी और अब कांग्रेस से नजदीकी बढ़ाना, लोग कह रहे हैं कि प्रशांत किशोर एक जगह टिकते क्यों नहीं हैं.
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BJP, JDU से लेकर TMC और कांग्रेस तक, एक जगह ठहरते क्यों नहीं हैं प्रशांत किशोर?