डीएनए हिंदी: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए विपक्ष के हमलों का जवाब दिया. अमित शाह ने कश्मीर की स्थिति से लेकर मणिपुर हिंसा तक विपक्ष के सवालों का जवाब दिया. गृहमंत्री ने मणिपुर में हिंसा भड़कने से लेकर राज्य में हिंसक झड़पों के इतिहास तक पर विपक्ष को जवाब दिया. अमित शाह ने मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई हिंसा पर भी अपना पक्ष रखा. अमित शाह ने कहा है कि मणिपुर में सामान्य स्थिति स्थापित करने के लिए क्षेत्र में अर्धसैनिक बल तैनात किया गया है.
मणिपुर हिंसा पर बोलते हुए अमित शाह ने कहा, 'जब कोई राज्य का मुख्यमंत्री सहयोग नहीं कर रहा हो तो उसे बदलना पड़ता है. ये सीएम केंद्र के साथ सहयोग कर रहे हैं.' अमित शाह ने विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA से लेकर हरियाणा और कश्मीर तक की स्थिति पर अपना पक्ष रखा. पढ़ें उन्होंने लोकसभा में क्या-क्या कहा.
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पढ़ें अमित शाह के भाषण की बड़ी बातें-
-अमित शाह ने मणिपुर हिंसा पर कहा, 'मणिपुर में परिस्थिति से पैदा हुई हिंसा है. इसका राजनीतिकरण गलत है. विपक्ष कहता है कि मोदी ध्यान नहीं रखते. मैं बताना चाहता हूं कि 3, 4 और 5 मई को पीएम लगातार एक्टिव थे. 3 मई को ही वहां हिंसा शुरू हुई थी. रात को 4 बजे मोदी ने फोन पर मुझसे मणिपुर पर बात की. फिर अगले दिन 6.30 बजे फिर फोन करके मुझे उठाया और चर्चा की. तीन दिन तक हमने लगातार काम किया. 16 वीडियो कॉन्फ्रेंस की. वायुसेना का इस्तेमाल किया. डीजीपी बदला.'
-अमित शाह ने कहा, 'विपक्ष कहता है कि राज्य में 356 क्यों नहीं लगाया. यह तब लगता है जब हिंसा के वक्त राज्य सरकार सहयोग ना करे. हमने डीजीपी बदला, उन्होंने स्वीकार किया. हमने चीफ सेक्रेटरी बदला, उन्होंने स्वीकार कर लिया. सीएम तब बदलना पड़ता है जब सहयोग ना करे, वहां के सीएम सहयोग कर रहे हैं.'
-अमित शाह ने कहा, '4 मई का वीडियो संसद के सत्र से एक दिन पहले ही क्यों आया. इसपर सवाल उठ रहे हैं. अगर किसी पर वीडियो था तो डीजीपी को देन चाहिए था, आरोपी पहले ही पकड़े जा चुके होते. मैतई-कुकी दोनों समुदायों से कहना चाहता हूं कि हिंसा नहीं बातचीत से समाधान निकालें.'
-अमित शाह ने कहा, 'मैं पहले दिन से ही मणिपुर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार था लेकिन विपक्ष कभी चर्चा नहीं करना चाहता था. आप मुझे चुप नहीं करा सकते क्योंकि 130 करोड़ लोगों ने हमें चुना है इसलिए उन्हें हमारी बात सुननी होगी। मणिपुर में हमारी सरकार के पिछले छह वर्षों के दौरान कर्फ्यू की आवश्यकता कभी नहीं पड़ी. मैं मानता हूं कि मणिपुर में हिंसा की घटनाएं हुई हैं. ऐसी घटनाओं का कोई भी समर्थन नहीं कर सकता. इन घटनाओं पर राजनीति करना शर्मनाक.'
-अमित शाह ने कहा, 'मणिपुर की नस्लीय हिंसाओं को लोगों को समझना होगा. करीब छह साल से मणिपुर में बीजेपी की सरकार है. एक दिन भी वहां कर्फ्यू नहीं लगाना पड़ा. उग्रवादी हिंसा करीब-करीब खत्म हो गई. 2021 में पड़ोसी देश म्यांमार में सत्ता परिवर्तन हुआ. वहां लोकतांत्रिक सरकार गिर गई और मिलिट्री का शासन आ गया. इस बीच वहां कुकी डेमोक्रेटिक फ्रंट ने लोकतंत्र के लिए आंदोलन शुरू किया. फिर वहां की सेना ने इनपर दबाव बनाना शुरू किया. ऐसे में कुकी लोग वहां से शरणार्थियों बनकर मिजोरम और मणिपुर आने लगे. हमने वहां आए शरणार्थियों परिचय पत्र बनवाया गया. थंब और आई इंप्रेशन लिया गया. इनको वोटर लिस्ट और आधार कार्ड की नेगेटिव लिस्ट में डाला गया.'
-अमित शाह ने कहा, '29 अप्रैल को एक अफवाह फैली कि 58 जो शरणार्थियों की बसावट हैं उनको गांव घोषित कर दिया गया है. इससे मैतई नाराज हो गए. लोगों को लगा ये स्थाई तौर पर यहीं बस जाएंगे. फिर मणिपुर हाईकोर्ट के फैसले ने आग में तेल डाल दिया. इसने सालों से पेंडिंग पड़ी याचिका पर सुनवाई की और कह दिया कि पहले मैतई को आदिवासी घोषित कर दिया जाएगा. इसके बाद हिंसा हो गई.'
-अमित शाह ने कहा, 'विपक्षी गठबंधन ने अपना नाम बदल लिया, जबकि UPA ठीक नाम था. 10 साल सत्ता में भी रह लिए. मैं बताता हूं 12 लाख करोड़ से ज्यादा के घपले-घोटाले UPA के नाम पर दर्ज थे, कैसे जाते बाजार में. जो कंपनी दिवालिया हो जाती है वो भी नाम बदल लेती है. इन्होंने भी नाम बदल लिया. इनके पास कोई और रास्ता नहीं था. हमें कोई नाम बदलने की जरूरत नहीं है क्योंकि अटल सरकार और अब के 9 साल में कोई ऐसा काम नहीं किया जिससे सिर झुकाना पड़े, NDA गठबंधन सीना तानकर चुनाव में जाएगा.'
-अमित शाह ने कहा, 'देश की सुरक्षा पर बोलते हुए शाह ने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान सरहद पार से आतंकी घुसते और जवानों के सिर काटकर ले जाते थे. कोई जवाब नहीं देता था. हमारी सरकार में दो बार पाकिस्तान ने हिमाकत की. दोनों बार पाकिस्तान के घर में घुसकर आतंकियों का खात्मा किया. UPA सरकार में सबसे ज्यादा घोटाला रक्षा क्षेत्र में हुआ. चीन की सीमा पर हमारी तोपें ना पहुंच पाए ऐसी स्थिति थी. सड़क ही नहीं बनाई थी, नक्शा ही देखते रहते थे. लेकिन मोदी और राजनाथ सिंह ने सीमा के अंतिम गांव तक, भारत के प्रथम गांव तक सड़क पहुंचाई.'
-अमित शाह ने कहा, 'आर्टिकल 370 नेहरू की भूल थी, जिसे मोदी ने हटाया. इसके साथ कश्मीर के अंदर से दो झंडे, दो संविधान खत्म हुए और भारत के साथ इसका पूरा जुड़ाव हुआ. हमने विपक्ष से जुड़े एक NGO की रिपोर्ट देखी थी. उसमें लिखा था कि समस्या सुलझाने के लिए हुर्रियत से चर्चा करो. जमीयत से चर्चा करो, पाकिस्तान से चर्चा करो. हम इनमें से किसी से भी चर्चा नहीं करेंगे. हम चर्चा करेंगे तो घाटी की जनता से करेंगे. वो हमारे अपने हैं. अब कश्मीर में किसी आतंकी का जनाजा नहीं निकाला जाता है, क्योंकि जिसको जहां मारा जाता है, वहीं दफन कर दिया जाता है.'
-अमित शाह ने कहा, 'विपक्ष कहता है कि वह लोकतंत्र में यकीन करता है. लेकिन यह वहीं देखता कि कश्मीर पर शासन किसने किया. कश्मीर पर तीन परिवारों ने शासन किया. महबूबा मुफ्ती,फारुख परिवार और गांधी परिवार. लेकिन किसी ने पंचायत चुनाव नहीं करवाए. 2018-19 में NDA सरकार ने इसे करवाया. शाह बोले कि पत्थरबाजी की घटनाएं भी अब कम हुई हैं. इसी संसद में विपक्षी दल कहते थे कि जम्मू-कश्मीर से 370 को हटाया तो खून की नदियां बह जाएंगी. लेकिन वहां किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है क्योंकि ये नरेंद्र मोदी की सरकार है.'
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मणिपुर से लेकर कश्मीर तक, लोकसभा में अमित शाह ने क्या-क्या कहा? पढ़ें