डीएनए हिंदी: नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) चीफ के पद से जब से शरद पवार ने इस्तीफा दिया है, तब से ही यह कहा जा रहा है कि यह सबकुछ अचानक नहीं हो रहा है. इसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) का अहम रोल है. बीजेपी ने दबे पांव ऐसा सियासी दांव चला है कि एनसीपी में दो फाड़ हो गई है. बीते मंगलवार को अचानक शरद पवार ने इस्तीफे की घोषणा की और अजीत पवार के लिए नई सियासी संभावनाएं पैदा हो गईं.
शरद पवार के इस्तीफे की वजह से शुक्रवार को एनसीपी के कोर समिति की बैठक हुई. बैठक में इस बात पर मुहर लगी कि उनका इस्तीफा मंजूर ही नहीं किया जाएगा. कई कार्यकर्ता आत्मदाह की धमकी दे रहे हैं. एनसीपी नहीं चाह रही है कि शरद पवार अपने पद से हट जाएं लेकिन अजीत पवार का लहजा देखकर लग रहा है कि उन्हें इस्तीफा मंजूर है.
महा विकास अघाड़ी (MVA) के सूत्रधार शरद पवार हैं. उन्हीं की वजह से यह गठबंधन महाराष्ट्र में कुछ साल अपनी सरकार चला सका. अब अगर वही इस्तीफा दे देंगे तो यह गठबंधन टूट जाएगा. अकेले बीजेपी से न तो कांग्रेस लड़ने की स्थिति में है, न शिवसेना (UBT) और न ही नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी. बीजेपी के बड़े नेताओं के प्रति अजीत पवार का झुकाव यह साफ इशारा करता है कि अगर शरद पवार हटे तो एनसीपी को बीजेपी के साथ आने से कोई गुरेज नहीं है.
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क्या है बीजेपी का मास्टर प्लान?
कहा जाता है अजीत पवार और देवेंद्र फडणवीस के बीच बेहद मधुर संबंध रहे हैं. 23 नवंबर 2019 को जब कई दिनों की उठा-पटक के बाद भी शिवसेना और बीजेपी में गंठबंधन की बात नहीं बनी तब अजीत पवार और देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल के सामने शपथ ले ली थी. यह सरकार 2 दिन भी नहीं टिकी लेकिन यह साफ हो गया कि अजीत पवार को बीजेपी का साथ पसंद है. इनाम यह मिला कि उनके खिलाफ कई गंभीर मामले हटा लिए गए थे. जाहिर सी बात है कि उनकी बगावत का लाभ बीजेपी को मिलना तय है. अगर पार्टी के भीतरी फूट से नाराज होकर शरद पवार ने इस्तीफा दिया है तो यह पूरा प्लान, बीजेपी ने तैयार किया है.
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पवार के खिलाफ खड़े होंगे पवार
सुप्रिया सुले, शरद पवार की बेटी हैं. अजीत पवार भतीजे. सुप्रिया सुले भी सक्रिय राजनीति में हैं. उनकी भी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं. अजीत पवार भी सीएम बनने का ख्वाब देखते हैं. उनकी पार्टी पर बेहद मजबूत पकड़ है. वह जनता दरबार भी लगाते हैं और पार्टी की हर गतिविधि पर नजर रखते हैं. अब देखने वाली बात है कि शरद पवार अपना उत्तराधिकारी किसे चुनते हैं. अगर अजीत पवार के खिलाफ जाते हैं तो पार्टी का टूटना तय है. सुप्रिया के खिलाफ जाते हैं तो भी फायदा बीजेपी को होगा क्योंकि माना जा रहा है कि अजीत पवार का रुझान बीजेपी की ओर है.
हर हाल में बीजेपी की है चांदी
महाराष्ट्र में अक्सर ऐसा देखने को मिला है कि भतीजों को झटका देकर बेटों का हाथ पकड़ा गया है. बाल ठाकरे ने भी सत्ता उद्धव ठाकरे को सौंपी थी और राज ठाकरे को बाहर जाना पड़ा था. धनंजय मुंडे ने भी गोपीनाथ मुंडे के साथ झगड़े के बाद बीजेपी छोड़ दी थी. शरद पवार ऐसी ही स्थिति से बचने की कोशिश कर रहे हैं जिससे एनसीपी टूटने न पाए. शरद पवार 2024 में बीजेपी के खिलाफ मुखरता से लड़ने का मन बना चुके हैं, लेकिन अजीत पवार की ऐसी कोई मंशा नजर नहीं आ रही है. इस्तीफा दे चुके शरद पवार के खिलाफ अजीत पवार आवाज भी उठा सकते हैं और पार्टी को तोड़ने का भी दमखम रखते हैं. स्थितियां कुछ भी हो, बीजेपी की चांदी ही चांदी है.
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पवार के जरिए पवार पर निशाना, पढ़ें महाराष्ट्र की राजनीति में क्या है बीजेपी का मास्टर प्लान