चाहे वह ऑपरेशन सिंदूर हो या लाहौर की वायु रक्षा प्रणालियों को पंगु बनाने वाले जवाबी हमले, भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सब कुछ केवल प्रतिक्रिया है, और उसमें किसी प्रकार की कोई वृद्धि नहीं की गई है. दिलचस्प ये कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए यह स्पष्ट किया कि, 'हमारे धैर्य की परीक्षा लें, और गुणवत्तापूर्ण प्रतिक्रिया के लिए तैयार रहें.'
जब से घातक पहलगाम आतंकवादी हमले में 26 पर्यटक मारे गए, तब से भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया देने की कसम खाई, और 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 100 आतंकवादियों को मार गिराकर अपने वादे को पूरा किया.
ध्यान रहे कि 22 अप्रैल को जब पर्यटक पहलगाम में बैसरन घाटी की खूबसूरती का लुत्फ उठा रहे थे, तो जंगलों में छिपे आतंकवादियों ने उनकी जिंदगी हमेशा के लिए तबाह कर दी. महिलाएं, जिनमें से ज्यादातर नवविवाहित थीं, विधवा हो गईं.
जब पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत को हमलावर के रूप में दिखाने वाली कहानी गढ़ी, तो विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने उसे फिर से उस घातक नरसंहार की याद दिलाई. मिस्री ने जोर देकर कहा, 'पहलगाम में 22 अप्रैल का हमला मूल वृद्धि है, और भारतीय सशस्त्र बलों ने कल उस वृद्धि का जवाब दिया.'
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत के कदमों का विवरण देते हुए, मिस्री ने पहलगाम हमले पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया की निंदा की.उन्होंने कहा कि यूएनएससी की बैठक में, पाकिस्तान ने आतंकवादी समूह द रेजिस्टेंस फोर्स (टीआरएफ) की भूमिका का उल्लेख करने का विरोध किया, जबकि उसने पहले ही पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ले ली थी.
आतंकी हमले के लिए भारत की बड़ी प्रतिक्रिया, ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए, मिसरी ने फिर से स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत सटीक हमले 'गैर-उग्र, सटीक और मापी हुई' प्रकृति के थे और केवल आतंकी ढांचे को निशाना बनाया गया था, किसी भी नागरिक या सैन्य ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचाया गया था.
ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकवादियों के ताबूतों के पीछे प्रार्थना कर रहे वर्दीधारी पाकिस्तानी सेना और पुलिस कर्मियों की तस्वीर दिखाते हुए, मिसरी ने नागरिकों की हत्या के पाकिस्तान के दावे का खंडन किया. उन्होंने कहा, 'यह भी अजीब है कि नागरिकों के अंतिम संस्कार में ताबूतों को पाकिस्तानी झंडों में लपेटा जाता है और राजकीय सम्मान दिया जाता है.'
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई नागरिकों को प्रभावित कर रही है. उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि तनाव कम करने का विकल्प पाकिस्तान के पास है. मिसरी ने कहा, 'पाकिस्तान ने स्थिति को और बिगाड़ा, हमने केवल जवाब दिया. विकल्प पाकिस्तान के पास है.'
गौरतलब है कि पहलगाम आतंकी हमले के प्रतिशोध में ऑपरेशन सिंदूर में प्रतिबंधित संगठनों जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम), लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े 100 आतंकवादी मारे गए.
पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ ठिकानों सवाई नल्ला, सरजाल, मुरीदके, कोटली, कोटली गुलपुर, महमूना जोया, भीमबर और बहावलपुर- को सावधानीपूर्वक चुना गया और उन पर हमला किया गया.
भारत की ओर से इस बात के स्पष्ट स्पष्टीकरण के बावजूद कि हमले सैन्य ढांचे या नागरिकों को निशाना बनाकर नहीं किए गए थे, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस कदम को 'युद्ध की कार्रवाई' करार दिया. कुछ घंटों बाद, बौखलाए पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर भारी तोपखाने और मोर्टार गोलाबारी की, जिसमें तीन महिलाओं और पांच बच्चों सहित 16 नागरिक मारे गए.
अंधेरे की आड़ में हताश पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा के पास चार राज्यों में 15 सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला करने का प्रयास किया, लेकिन भारत की एस-400 रक्षा प्रणाली ने किसी भी भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान पर सीधा हमला होने से रोक दिया.
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आतंकी शिविरों के बाद कैसे भारत ने किया पाकिस्तान के झूठे दावों को ध्वस्त?