उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले की एक अदालत ने सोमवार को जिला प्रशासन को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के उस हिस्से को सील करने का निर्देश दिया, जहां एक शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है. अदालत ने सील किए गए स्थान पर किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित किया है. शासकीय अधिवक्ता राणा संजीव सिंह ने कहा कि हिंदू पक्ष की ओर से सिविल जज रवि कुमार दिवाकर की अदालत में ज्ञानवापी परिसर में प्राप्त शिवलिंग को सुरक्षित करने की अर्जी दी गयी थी, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने शिवलिंग वाले क्षेत्र को सील करने का आदेश दिया है.
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याचिकाकर्ता राखी सिंह के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने एक अर्जी पेश की जिसमें दावा किया गया कि आयोग को 16 मई को मस्जिद परिसर के अंदर एक शिवलिंग मिला था और यह महत्वपूर्ण साक्ष्य है. अर्जी में अनुरोध किया गया कि सीआरपीएफ कमांडेंट को आदेशित किया जाए कि वह उस स्थान को सील कर दें. साथ ही जिलाधिकारी वाराणसी को आदेशित किया जाए कि वहां मुसलमानों का प्रवेश वर्जित कर दें. अदालत ने यह अर्जी स्वीकार कर ली है.
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सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर ने आदेश में कहा, "वाराणसी के जिलाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि जिस स्थान पर शिवलिंग मिला है, उसे तत्काल प्रभाव से सील कर दिया जाए और किसी भी व्यक्ति को सील किए गए क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाए." अदालत ने जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नरेट वाराणसी और सीआरपीएफ कमांडेंट को सील किए जाने वाले स्थान को संरक्षित और सुरक्षित करने की जिम्मेदारी सौंपी है. अदालत ने जिलाधिकारी को निर्देशित किया है कि जहां शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है, उस स्थान पर लोगों का प्रवेश वर्जित कर दें और मस्जिद में केवल 20 लोगों को नमाज अदा करने की इजाजत दें.
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इससे पहले हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने दावा किया था, "सर्वे दल को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में नंदी की प्रतिमा के सामने वजू खाने (मस्जिद के अंदर वह जगह, जहां लोग नमाज पढ़ने से पहले हाथ, पैर और मुंह धोते हैं) के पास शिवलिंग मिला है."
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हालांकि मुस्लिम पक्ष ने शिवलिंग मिलने के दावे को गलत करार दिया है. ज्ञानवापी मस्जिद की रखरखाव करने वाली संस्था 'अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी' के संयुक्त सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने कहा कि मुगल काल की बनी जितनी भी मस्जिदें हैं, उन सभी के वजू खाने में फव्वारा लगाया जाता था.
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'अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी' के संयुक्त सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने कहा कि बाकी मस्जिदों की तरह ज्ञानवापी मस्जिद के फव्वारे में भी एक हरा पत्थर लगाया गया था, जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है. उन्होंने दावा किया, "हिंदू पक्ष ने कथित शिवलिंग और उसके मिलने के स्थान को सील कराने के लिए अदालत में जो अर्जी दी, उसकी कोई प्रति मुस्लिम पक्ष को नहीं दी गई, और न ही हमें सुना गया."