Christmas के त्योहार की रौनक इस साल भी जोरदार रही. कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए चर्च और दूसरी जगहों पर पाबंदियां भी लागू थीं. इसके बावजूद, क्रिसमस मनाने का उत्साह, चर्च और दूसरी जगहों पर जाने के लिए बड़ी संख्या में देश भर से लोग घरों से बाहर निकले.
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दिल्ली के चांदनी चौक के चर्च में हर साल की तरह इस साल भी बड़ी संख्या में लोग जुटे. परिवार के साथ चर्च पहुंचे लोगों ने प्रार्थना की. चर्च और आस-पास की जगहों को भी काफी सुंदर तरीके से सजाया गया है.
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तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा की वजह से धर्मशाला में बौद्ध बड़ी संख्या में नजर आते हैं. हालांकि, इस पहाड़ी शहर में कुछ चर्च भी हैं. धर्मशाला के चर्चों को भी काफी सुंदर तरीके से सजाया गया था. आधी रात को लोगों का हुजूम मास प्रेयर के लिए जुटा.
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कोरोना महामारी को देखते हुए कर्नाटक के सभी चर्च की ओर से कोविड प्रोटोकॉल लागू किए गए थे. प्रार्थना के लिए आने वाले लोगों का मास्क लगाना जरूरी था. हालांकि, चर्च की सजावट और दूसरी तैयारियों में कोई कमी नजर नहीं आई.
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देश के सबसे पुराने शहरों में शुमार कोलकाता में कई चर्च हैं. कोलकाता मदर टेरेसा की कर्मभूमि भी रही है. यहां के चर्चों को भी अच्छी तरह से सजाया गया था. चर्च और क्रिसमस की रौनक देखने हर साल बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी जुटते हैं.
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मुंबई में कई पुराने चर्च हैं और देश की कमर्शियल कैपिटल में बड़ी संख्या ईसाई धर्म मानने वालों की भी है. बांद्रा, कोलाबा, माहिम जैसे इलाकों के सभी चर्च की सजावट देखने कोविड के बाद भी लोग पहुंचे.
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पुड्डुचेरी के चर्च और दूसरी इमारतों पर आज भी फ्रेंच वास्तुशिल्प का असर दिखता है. मौका जब क्रिसमस का हो, तो तैयारियों में कोई कमी रहने की गुंजाइश ही नहीं थी. पुड्डुचेरी में स्थानीय लोगों के साथ टूरिस्ट भी हर साल क्रिसमस पर खास तौर पर चर्च और सजावट देखने आते हैं.