पीएम मोदी ने कोविड वैक्सीन की तीसरी डोज के लिए बूस्टर नहीं, बल्कि प्रिकॉशन डोज का इस्तेमाल किया है. दुनिया भर में जहां बूस्टर डोज कहा जा रहा है, पीएम ने इसके लिए हमेशा प्रिकॉशन डोज का ही इस्तेमाल किया. क्या बूस्टर और प्रिकॉशन डोज अलग हैं या दोनों एक ही हैं? ऐसे सवाल उठ रहे हैं. इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब जानें यहां.
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कोरोना वायरस के खिलाफ पर्याप्त इम्यूनिटी तैयार करने के लिए दुनिया भर में बनी ज्यादातर वैक्सीन की 2 डोज वाली लगाई गई है. सभी कंपनियों ने ट्रायल में पाया है कि तय समयसीमा में उसकी वैक्सीन की दूसरी डोज लगने से इम्यूनिटी का स्तर बढ़ जाता है. अलग-अलग कंपनियां इसे लेकर अलग-अलग दावे करती हैं. बूस्टर डोज प्रतिरोधी क्षमता को और मजबूत बनाने के लिए लगाई जाती है. इसलिए, इसे बूस्टर डोज नाम दिया गया.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि कोविड महामारी के खिलाफ हमारी लड़ाई को मजबूत बनाने के लिए और प्रिकॉशन की जरूरत है. ऐसे में फ्रंटलाइन वर्क्स और 60 साल से ऊपर के बुजुर्ग जो किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, उन्हें प्रिकॉशन डोज दी जाएगी. वैक्सीन की यह तीसरी खुराक सतर्कता के लिए दी जा रही है.
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अगर वैक्सीन से जुड़े फायदे और उद्देश्य को देखें, तो दोनों ही डोज एक हैं. भले ही पीएम मोदी ने इसे प्रिकॉशन डोज कहा हो, लेकिन इसका उद्देश्य कोरोना के खिलाफ शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को मजबूत करना ही है. इस लिहाज से यह एक ही है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन की शुरुआत में Omicron के खतरे के प्रति सतर्क रहने की अपील की. पीएम ने कहा, 'सावधानी बरतने की प्रक्रिया में ही वैक्सीन की एक और डोज दी जाएगी.' यही वजह है कि पीएम ने वैक्सीन की तीसरी खुराक को बूस्टर डोज कहने की बजाय प्रिकॉशन डोज कहा.
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देश के मशहूर डॉक्टर नरेश त्रेहन ने कहा कि बूस्टर डोज कहा जाए या प्रिकॉशन डोज, मूल मकसद इम्यूनिटी बढ़ाना है. उन्होंने यह भी कहा कि भारी मात्रा में वैक्सीन की एक्सपायरी डेट नजदीक आ गई है, उसका इस्तेमाल प्रिकॉशन डोज के रूप में हो जाएगा. सामान्य शब्दों में कहें, तो ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे और वैक्सीन से बनी एंटीबॉडी की कमजोरी की वजह से तीसरी डोज देने का फैसला किया गया है.