भारत ने पहलगाम हमले का बदला लेते हुए पाकिस्तान में 9 आतंकी संगठनों पर हमला किया. इस कार्रवाई का नाम ऑपरेशन सिंदूर रखा गया. भारतीय सेनानियों ने आतंकवादियों को सिंदूर की कीमत बता दी है. भारत ने इस ऑपरेशन से आतंकवाद की कमर तोड़ दी है.
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भारत ने जिन 9 ठिकानों को निशाना बनाया, वे आतंकवादी संगठनों जैसे जैश-ए-मोहम्मद (JeM), लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और हिज्बुल मुजाहिद्दीन (HM)के प्रमुख प्रशिक्षण और लॉजिस्टिक केंद्र थे.
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इंटरनेशनल बॉर्डर से करीब 100 km दूर जैश-ए-मोहम्मद का हेडक्वार्टर है. यह युवाओं के प्रशिक्षण और उन्हें प्रेरित करने के लिए जैश का मुख्य केंद्र है.
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सांबा से 30 km दूर लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का यह केंद्र 82 एकड़ में फैला हुआ है और हथियार, फिजिकल ट्रेनिंग और आतंक के प्रचार का मुख्य अड्डा है. मुंबई हमले के आरोपी अजमल कसाब और अन्य ने यहीं से "दौरा-ए-रिब्बत" नामक प्रशिक्षण लिया था.
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गुलपुर LOC से पैंतीस किलोमीटर दूर है। खुफिया एजेंसियों ने जानकारी दी थी कि इसी जगह पर पुंछ में 2023 में हुए हमले की साजिश रची गई थी.
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POK के पास तंगधार सेक्टर के अंदर 30 km दूर लश्कर का कैंप है. 21 अक्टूबर 2024 को गांदरबल, 24 अक्टूबर 2024 को गुलमर्ग और 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम हमला यहीं से प्लान किया गया था.
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जैश-ए-मोहम्मद का लॉन्चपैड है. जेईएम का यह ट्रांजिट कैंप भारतीय सीमा में घुसपैठ से पहले आतंकियों के अस्थायी ठहराव के लिए प्रयोग होता है.
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राजौरी के पास LoC से 15 km दूर लश्कर-ए-तैयबा का कैंप. यहां करीब 50 आतंकी थे. यह हिजबुल का सबसे पुराना प्रशिक्षण केंद्र है, जो स्नाइपिंग और हिल वॉरफेयर में विशेष प्रशिक्षण देता है.
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लश्कर-ए-तैयबा का यह अड्डा पुंछ-राजौरी क्षेत्र में आतंकियों की घुसपैठ के लिए प्रयोग होता है. यहां 100–150 आतंकी ठहरते हैं.
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सांबा-कठुआ के पास इंटरनेशनल बॉर्डर से करीब 8 km दूर जैश-ए-मोहम्मद का कैंप है. यहां से भारत में सुरंगों और ड्रोन के जरिए आतंकियों की घुसपैठ करवाई जाती है.
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हिजबुल मुजाहिद्दीन (HM) का यह केंद्र जम्मू क्षेत्र में आतंकियों की घुसपैठ और हथियार प्रशिक्षण का ठिकाना है.