ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भाजपा शासित कुछ राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर शुरू हुई कवायद के बीच मंगलवार को कहा कि यह असंवैधानिक कदम होगा और इसे देश के मुसलमान स्वीकार नहीं करेंगे. पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह ऐसा कोई कदम उठाने से परहेज करे.
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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक बयान में कहा, "भारत का संविधान हर नागरिक को अपने धर्म के मुताबिक जीवन जीने की अनुमति देता है और यह मौलिक अधिकार भी है. इसी अधिकार के तहत अल्पसंख्यकों और आदिवासी वर्गों को उनकी रीति-रिवाज, आस्था और परंपरा के अनुसार अलग पर्सनल लॉ की अनुमति है."
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उनके मुताबिक, पर्सनल लॉ किसी तरह से संविधान में हस्तक्षेप नहीं करता, बल्कि यह अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक समुदायों के बीच परस्पर विश्वास को कायम रखने में मदद करता है. रहमानी ने दावा किया, "उत्तर प्रदेश या उतराखंड सरकार अथवा केंद्र सरकार की ओर से समान नागरिक संहिता की बात करना असामायिक बयानबाजी भर है. हर कोई जानता है कि उनका उद्देश्य बढ़ती महंगाई, गिरती अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी जैसे मुद्दों का समाधान करना नहीं है. समान नागरिक संहिता का मुद्दा असल मुद्दों से ध्यान भटकाने और नफरत एवं भेदभाव के एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए लाया जा रहा है."
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उन्होंने कहा, "यह असंवैधानिक कदम है और मुसलमान किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसकी (बयानबाजी) कड़ी निंदा करता है और सरकार से ऐसे कदम उठाने से परहेज करने का आग्रह करता है."
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आपको बता दें कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर मसौदा तैयार करने के लिए राज्य सरकार ने विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का निर्णय लिया गया है. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए उठाए गए कदम को एक ‘‘अच्छी पहल’’ करार दिया और कहा कि इस विचार को उनके राज्य में कैसे लागू किया जा सकता है, इस बारे में अध्ययन किया जा रहा है.
Short Title
Uniform Civil Code असंवैधानिक, मुसलमान स्वीकार नहीं करेंगे: पर्सनल लॉ बोर्ड