कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) लंबे समय से कांग्रेस पार्टी से नाराज चल रहे थे, आज उनके भी कांग्रेस पार्टी से नाता तोड़ने की खबर आ गई. कपिल सिब्बल ने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी यूपी से राज्यसभा सांसद के लिए पर्चा भरा है. समाजवादी पार्टी कपिल सिब्बल का समर्थन कर रही है. कपिल सिब्बल के कांग्रेस छोड़ने पर अब केसी वेणगोपाल ने प्रतिक्रिया दी है. केसी वेणुगोपाल ने कहा कि "लोग हमारी पार्टी से आते हैं और जाते हैं." उन्होंने कहा कि पार्टी का पूरी तरह से खड़ा किया जाएगा. संगठन में बहुत सारे व्यापक बदलाव देखे जा सकते हैं. कई गाइडलाइंस आने वाली हैं. प्रत्येक व्यक्ति के पास एक कार्य होगा.
वेणुगोपाल ने आगे कहा, "उन्होंने पार्टी अध्यक्ष को पहले ही एक पत्र लिखा था. पत्र में कहा गया है कि वह कांग्रेस के मूल्यों में दृढ़ विश्वास रखते थे. उसने और कुछ नहीं कहा. उन्हें अपनी स्थिति बताने दें. तब मैं कह सकता हूं. त्याग पत्र बहुत उच्च स्तर का है. हमारी पार्टी से लोग आते-जाते हैं. यह एक बड़ी पार्टी है. कुछ लोग पार्टी छोड़ सकते हैं. कुछ अन्य पार्टियों में जा सकते हैं. मैं पार्टी छोड़ने वाले किसी व्यक्ति को दोष नहीं देने जा रहा. कांग्रेस के पास बहुत जगह है."
Slide Photos
Image
Caption
पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख पिछले गुरुवार को दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. पिछले महीने कांग्रेस ने कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए उन्हें सभी पदों से हटा दिया था. जाखड़ ने कहा कि उन्होंने पंजाब में 'राष्ट्रवाद', 'भाईचारे' और 'एकता' जैसे मुद्दों पर कांग्रेस छोड़ने का फैसला किया है.
Image
Caption
गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रहे हार्दिक पटेल लंबे समय से पार्टी से नाराज चल रहे थे. उन्होंने भी हाल ही में कांग्रेस से इस्तीफा दिया है. "लोगों के लिए रोडमैप" नहीं होने के लिए कांग्रेस और उसके नेताओं की आलोचना करते हुए, पटेल ने अपने त्याग पत्र में कहा कि भारत अयोध्या में राम मंदिर, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने, जीएसटी के कार्यान्वयन और कांग्रेस जैसे मुद्दों का समाधान चाहता है.
Image
Caption
असम कांग्रेस के पूर्व अध्य रिपुन बोरा ने अप्रैल महीने में पार्टी छोड़ दी थी. वो टीएमसी में शामिल हो गए हैं. अपने त्याग पत्र में, बोरा ने कांग्रेस के भीतर की अंदरूनी कलह की ओर इशारा किया. उन्होंने दावा किया कि पार्टी कार्यकर्ता "निराश" हैं. उन्होंने कहा था कि आंतरिक कलह की वजह से कांग्रेस को 2021 के विधानसभा चुनावों में हार मिली.
Image
Caption
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने इस साल जनवरी में उत्तर प्रदेश में चुनाव से पहले भाजपा का दामन थाम लिया. आरपीएन सिंह का यह कदम फरवरी में शुरू होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस द्वारा स्टार प्रचारक के रूप में नामित किए जाने के एक दिन बाद आया. 2004 और 2014 के बीच आरपीएन सिंह को कांग्रेस नेता राहुल गांधी का करीबी और पार्टी के अगली पीढ़ी के नेताओं के रूप में देखा जाता था.
Image
Caption
राव इंद्रजीत सिंह (2013)
दग्गुबाती पुरंदेश्वरी (2014)
बीरेंद्र सिंह (2014)
जगदंबिका पाल (2014)
जीके वासन (2014)
सतपाल महाराज (2014)
जयंती नटराजन (2015)
गिरिधर गमांग (2015)
अब्दुल गनी वकील (2015)
रीता बहुगुणा जोशी (2016)
विजय बहुगुणा (2016)
अजीत जोगी (2016)
सुदीप रॉय बर्मन (2016)