खुशवंत सिंह भारत के सबसे चर्चित लेखकों-संपादकों में से रहे हैं. 99 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली थी और औखिरी वक्त तक वह लगातार सक्रिय रहे थे. सिंह के जितने ही प्रशंसक रहे उतने ही उनके आलोचक भी थे. दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने कभी भी विवादों से खुद को अलग-थलग करने की कोशिश भी नहीं की थी. बंटवारे की त्रासदी से लेकर 21वीं सदी के भारत तक को उन्होंने बदलते देखा और इसे अपनी लेखनी में भी शामिल किया था. जानें उनकी जिंदगी के दिलचस्प किस्से.
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80 से अधिक किताबें लिखने वाले खुशवंत सिंह का जन्म 2 फरवरी, 1915 को पाकिस्तान में हुआ था. खुशवंत सिंह ने अपनी लेखनी में खुलकर बोल्ड विषयों को उठाया था. वह अपने बारे में बिना किसी हिचक के कहते थे कि वह अय्याश आदमी हैं. उन्हें महंगी शराब का काफी शौक था और इसे कभी नहीं छुपाते थे. सिंह को दिल्ली शहर और महिलाओं से भी खासा लगाव था और उन्होंने अपनी किताबों में भी इसका जिक्र किया है.
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खुशवंत सिंह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. उन्होंने इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाई की थी. कुछ साल वकालत करने के बाद उन्होंने विदेश सेवा में नौकरी कर ली थी. इस नौकरी में भी उनका दिल नहीं लगा था और 4 साल में ही उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी. उसके बाद वह लेखन की दुनिया में मुड़ गए और बतौर पत्रकार काम करना शुरू कर दिया था. कहा जाता है कि उन्हें संपादक बनाने के लिए निजी तौर पर इंदिरा गांधी ने सिफारिश की थी.
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खुशवंत सिंह की महिलाओं पर लिखे उनके कुछ लेख के लिए खासी आलोचना भी होती थी. उन्होंने खुलकर स्वीकार किया था कि भारतीय मूल्यों के उलट उनकी कई महिलाओं से दोस्ती और संबंध रहे थे. बतौर पत्रकार सिम्मी ग्रेवाल की सेमी न्यूड तस्वीरें छापने की वजह से भी काफी विवाद हुआ था. उनके राजनीतिक झुकाव को लेकर भी कई बार उन पर आरोप लगे थे.
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खुशवंत सिंह की विलक्षण सेवाओं को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण के सम्मान से नवाजा था. इसके अलावा भी उन्हें कई राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिले थे. उन्होंने राज्यसभा सांसद के तौर पर भी अपनी सेवाएं दी थीं.
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खुशवंत सिंह की ऊर्जा और जीवट बहुत से लोगों के लिए प्रेरणा है. वह 99 साल की उम्र तक पढ़ते-लिखते रहे थे. उनके बारे में कहा जाता है कि वह सुबह 4 बजे उठकर लिखना पसंद करते थे और हर दिन घंटो पढ़ा करते थे. खुशवंत सिंह अपनी जिंदादिली और हाजिरजवाबी के लिए भी दुनिया भर में मशहूर थे.