पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का जीवन फर्श से अर्श पर पहुंचने की अनोखी मिसाल है. ये जानकर किसी को भी हैरानी हो सकती है कि उन्होंने बेहद गरीबी से अपनी जिंदगी के सफर की शुरुआत की थी और मेहनत के बलबूते अपनी एक अलग पहचान बनाई.
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खास बात ये है कि ममता बनर्जी को ज्यादातर लोग सिर्फ एक नेता के तौर पर जानते हैं. कम ही लोगों को मालूम है कि वह रचनात्मक रूप से भी काफी सक्रिय रहती हैं. उनके रचनात्मक कोने में पेंटिंग से लेकर कविताओं तक कला के सबसे खास पहलू शामिल हैं.
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वह स्ट्रेसबस्टर यानी तनाव कम करने के लिए पेंटिंग बनाती हैं. उनका ये शौक सिर्फ घर तक सीमित नहीं है. बताया जाता है कि उनकी 250 पेंटिंग्स एक नीलामी के दौरान 1 करोड़ से ज्यादा की रकम जुटा चुकी हैं. वह ज्यादातर ऑइल पेंट्स का ही इस्तेमाल करती हैं. ऑइल पेंट्स को सूखने में काफी समय लगता है, ऐसे में उनके व्यस्त शेड्यूल के दौरान इन पेंटिंग्स कैसे पूरी करना भी एक चुनौती भरा काम है.
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साल 2011 में सीपीआई (एम) का 34 साल लंबा शासन खत्म करते हुए ममता बनर्जी पहली बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी थीं. सीपीआई(एम) का ये शासनकाल किसी भी सरकार का दुनिया का सबसे लंबा शासनकाल माना जाता है. वह रेलमंत्री बनने वाली देश की पहली महिला थीं. टाइम मैग्जीन ने उन्हें साल 2012 में 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया था.
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ममता बनर्जी कविता भी लिखती हैं. उनकी उनकी 100 से ज्यादा किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. कविताओं की उनकी किताब शी नई कोलकाता बुक फेयर में बेस्टसेलर भी घोषित हो चुकी है.कोरोना संकट का सामना कर रहे देश के हालातों पर भी ममता बनर्जी ने कविता लिखी थी. ये कविता उन्होंने अंग्रेजी और बंगाली भाषा में अपने फेसबुक अकाउंट से पोस्ट भी की थी. इसका शीर्षक था Pale.
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ममता बनर्जी ने अपना राजनीतिक करियर सन् 1970 में युवा कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर पर शुरू किया था. बहुत ही कम समय में अपनी कर्मठता की वजह से वह महिला कांग्रेस की जनरल सेक्रेटरी बन गईं और फिर ऑल इंडिया यूथ कांग्रेस में भी उन्होंने अपनी जगह बना ली. 1984 में उन्होंने सबसे युवा नेता के तौर पर संसद में एंट्री ली. उन्होंने 1997 में कांग्रेस से विरोधाभासों के चलते अपनी नई पार्टी ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की.
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उनके व्यक्तित्व से जुड़ा एक खास पहलू ये भी है कि वह हर रोज 5-6 किमी ट्रेडमिल वॉक करती हैं. तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी कई वॉकेथन और मार्चेस में भी हिस्सा ले चुकी हैं.