साल 2023 तक शुरू होने जा रही दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल सेवा के कोच भी अब तैयार होने लगे हैं. इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पूरी तरह से स्वदेशी हैं और इन्हें भारत के ही गुजरात में बनाया जा रहा है. इनकी पहली तस्वीरें सामने आई हैं.
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भारत की पहली रैपिड रेल परियोजना में मेक इन इंडिया का भी पूरी ध्यान रखा गया है. रैपिड रेल के लिए तैयार अत्याधुनिक आरआरटीएस कोच 100% भारत में निर्मित हैं. एल्स्टॉम ने ट्रेनों को एनसीआरटीसी का काम शुरू कर दिया है, अब इन्हें गाजियाबाद के दुहाई डिपो में लाया जाएगा. गाजियाबाद का दुहाई डिपो, दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर को शुरू करने के लिए तेजी से विकसित किया जा रहा है.
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इन ट्रेनों में दो-दो सीटों वाली लाइन होगी. इसके अलावा, खड़े होने के लिए पर्याप्त जगह, सामान के लिए रैक, सीसीटीवी कैमरे, मेट्रो की तरह रूट मैप, मोबाइल और लैपटॉप की चार्जिंग के पोर्ट, एयर कंडीशनिंग सिस्टम, हीटिंग वेंटिलेशन और कई अन्य अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं. इसके अलावा महिलाओं के लिए एक कोच आरक्षित रहेगा.
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भारत की पहली आरआरटीएस ट्रेनों को इनकी स्पीड के लिए भी जाना जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक, ये 180 किमी/घंटे की डिजाइन स्पीड, 160 किमी/घंटे की ऑपरेशनल स्पीड और 100 किमी/घंटे की ऐवरेज स्पीड के साथ भारत में अब तक की सबसे तेज ट्रेनें होंगी.
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दिल्ली और मेरठ के बीच आरआरटीएस कॉरिडोर का काम काफी तेजी से चल रहा है. ट्रेनों के आने के बाद इस साल के अंत तक प्रायोरिटी सेक्शन पर शुरुआती ट्रायल रन शुरू होने की उम्मीद है. गाजियाबाद के साहिबाबाद से दुहाई के बीच 17 किलोमीटर के प्रायोरिटी सेक्शन को 2023 तक और पूरे कॉरिडोर को 2025 तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया है.
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दिल्ली और मेरठ के बीच लाखों लोग हर दिन सफर करते हैं. अभी तक सड़क और रेल के जरिए ही लोग आ-जा सकते हैं. रैपिड रेल की शुरुआत होने से समूचे एनसीआर के लोगों को मदद मिलेगी. साथ ही इस ट्रेन की रफ्तार और सुविधाजनक फीचर्स के चलते लोगों का समय भी बचेगा और सफर भी आरामदायक होगा.