चारा घोटाले (Fodder Scam) के बाद अब लालू यादव (Lalu Yadav) परिवार रेलवे भर्ती घोटाले में फंसता नजर आ रहा है. सीबीआई (CBI) ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मामला दर्ज कर दिल्ली, पटना और गोपालगंज में 17 अलग-अलग जगहों पर छापेमारी की. लालू परिवार से सीबीआई पूरे घटनाक्रम के बारे में पूछताछ करना चाहती है.
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CBI ने पटना में 15 घंटे तक, गोपालगंज में 5 घंटे और दिल्ली में लगातार 8 घंटे तक रेड डाली है. लालू यादव से जब CBI के अधिकारियों ने पूछताछ शुरू की तो उन्होंने कहा कि अब कुछ याद नहीं है.
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अधिकारियों ने कहा था कि नौकरी देने की प्रक्रिया में अधिकारी शामिल होते हैं न कि मंत्री. लालू यादव से इसी सिलसिले में अधिकारी कुछ सवालों के जवाब मांग रहे थे. उन्होंने कहा कि अब उन्हें कुछ याद नहीं है.
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लालू प्रसाद यादव, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबपड़ी देवी, (Rabri Devi) और उनकी दो बेटियां हेमा और मीसा का नाम भी घोटाले में सामने आया है. सीबीआई ने जमीन के बदले नौकरी देने के आरोप में मामला दर्ज कर ये छापेमारी शुरू की थी.
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सीबीआई ने कुल 17 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिसमें वो लोग भी शामिल हैं जिन्होंने जमीन के बदले रेलवे में नौकरियां ली हैं.
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CBI की ओर से दर्ज केस के मुताबिक लालू प्रसाद यादव UPA सरकार में साल 2004 से 2009 तक रेल मंत्री थे. इसी दौरान लालू यादव ने बिना किसी नोटिफिकेशन के रेलवे के अलग-अलग जोन में ग्रुप डी में लोगों की भर्तियां की जिसके बदले में जमीनें ली गई. जिन लोगों को नौकरी पर रखा गया था वो सभी पटना के रहने वाले थे. लेकिन नौकरियां रेलवे के मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर, हाजीपुर के अलग-अलग जोन में दी गईं.
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CBI ने इस मामले की जांच के लिए सबसे पहले सितंबर 2021 में FIR दर्ज की थी जिसकी जांच में सबूत मिलने के बाद 18 मई को लालू यादव, उनकी पत्नी और दो बेटियों समेत 17 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.
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अब तक की जांच के मुताबिक लालू यादव ने रेलवे में ग्रुप डी में लोगों को भर्ती करने के बदले उनसे जमीनें लीं हैं. जो जमीन ली गई थी उनमें से 3 लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी के नाम, 1 बेटी मीसा भारती (Misa Bharti) के नाम और दो गिफ्ट में बेटी हेमा यादव के नाम थी. एक जमीन M/s AK Infosystem Pvt. Ltd. के नाम थी जिसे साल 2014 में राबड़ी देवी और उनकी बेटियों के नाम कर दिया गया. इसमें कंपनी और उससे जुड़ी सारी संपत्ति भी शामिल थी. राबड़ी देवी के पास कंपनी के सबसे ज्यादा शेयर थे और वो कंपनी की डायरेक्टर बनीं यानी जो जमीन नौकरी के बदले कंपनी के नाम दी गई थी वो भी अब लालू यादव के परिवार की संपत्ति हो गई थी.
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पटना में 1,05,292 स्क्वेयर फीट की जो जमीन नौकरियों के बदले लालू यादव और उनके परिवार के पास कथित तौर पर आई, उसकी कीमत करीब 4,39,80,650 करोड़ रुपये है. जबकि 7 जमीन के पार्सल जो लिए गए थे, उनमें से 5 को खरीदा दिखाया गया और 2 को तोहफा बताया गया. जिस जमीन को खरीदा गया दिखाया है उसकी कीमत भी काफी कम दिखाई गई और पैसे नकद दिए गए. CBI को लालू यादव की भूमिका पर यहीं से संदेह पैदा हुआ.
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जांच में यह बात सामने आई है कि नौकरियों के लिए किसी तरह का विज्ञापन नहीं निकाला गया था. जिन लोगों को नौकरियां दी गई थीं, उन लोगों को कहा गया था कि वो रेलवे के जोन को चिट्ठी लिखें लेकिन जो अर्जियां लिखकर भेजी गईं, उन पर पता भी अधूरा था. बावजूद इसके वो अर्जियां अधिकारियों तक पहुंची और नौकरियां भी मिल गईं. सभी नौकरियां साल 2004 से 2009 के बीच में दी गईं जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे.