वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब संसद में बजट पेश कर रही थीं तो कुछ लम्हें ऐसे भी रहे जो बजट और औपचारिक भाषण से अलग थे. बजट भाषण के दौरान उन्होंने विपक्ष के विरोध को भी देखा तो टैक्स की जरूरत समझाने के लिए श्लोक पढ़कर सुनाया. बजट भाषण के ऐसे ही कुछ यादगार पल रहे.
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बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने जब किसानों का नाम लिया तो विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा मचाना शुरू कर दिया था. इस दौरान वित्त मंत्री बेहद संतुलित नजर आईं और उन्होंने कोई प्रतिक्रिया देने के बजाय मौन रहना चुना. इसके बाद बीजेपी के कुछ सांसदों ने जरूर आपत्ति जताई थी.
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बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था के लिए उम्मीद है और उम्मीद के सिरे को पकड़कर चलना जरूरी है. इस भाव को समझाने के लिए उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर की पंक्तियां भी साझा की. उन्होंने कहा, 'उम्मीद एक ऐसा पक्षी है जो रोशनी को महसूस करता है और अंधेरे में भी चहचहाता है.'
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वित्त मंत्री ने टैक्स की जरूरत किस तरह से अर्थव्यवस्था के लिए है यह समझान के लिए गीता का श्लोक चुना था. उन्होंने गीता के इस श्लोक का अंग्रेजी तर्जुमा पढ़कर सुनाया था...
दायित्वा करं धर्म्यं राष्ट्रं नित्यं यथाविधि।
अशेषान्कल्प येद्रज योगक्षेम आनंद्रित।
इसका मतलब है कि राजा को राज्य के दायित्वों को पूरा करने और राष्ट्र पर शासन चलाने के लिए धर्मपूर्वक कर जुटाकर जनता के कल्याण के लिए काम करना चाहिए.
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वित्त मंत्री ने कोविड प्रोटोकॉल के तहत टैबलेट पर ही बजट भाषण पढ़ा था. यह अपने-आप में पहली बार हुआ कि वित्त मंत्री ने डिजिटल अंदाज में बजट भाषण पढ़ा हो. लगातार बजट पढ़ते हुए बीच में एक वक्त ऐसा लग रहा था कि वित्त मंत्री की तबीयत कुछ बिगड़ गई है. उन्होंने खुद को तत्काल ही संभाला, पानी का ग्लास उठाकर पीया, कुछ क्षण के ब्रेक के बाद फिर से बजट पढना शुरू कर दिया था.
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इस बार बजट पेश करते समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भूरे और मरून रंग की बोमकाई साड़ी पहनी थी. इस साड़ी की भी सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है. दक्षिण भारत से ताल्लुक रखने वाली वित्त मंत्री ने इस बार ओडिशा की साड़ी चुनी. साड़ी के बॉर्डर पर बारीक सिल्वर थ्रेड वर्क किया गया था. भुवनेश्वर से लगभग 156 किलोमीटर दूर गंजाम जिले में एक गांव है जिसका नाम है बोमकाई. वहीं से इन साड़ियों की शुरुआत हुई थी.