हर जगह हिफाजत सेना और पुलिस के जवान नहीं कर सकते हैं. हर सीमा की सुरक्षा सेना खुद नहीं कर सकती है. युद्ध की स्थितियों में ही सेना को जिम्मेदारी सौंपी जाती है. सीमा सुरक्षा से लेकर उद्योगों की सुरक्षा तक, अलग-अलग अर्धसैनिक बलों का गठन किया गया है. इसमें बीएसफ से लेकर आरपीएफ तक शामिल हैं. आइए जानते हैं, इनके काम क्या हैं.
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बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स भारतीय सीमाओं की हिफाजत करता है. यह सुरक्षाबल पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमाओं का हिफाजत करता है. यह देश की 7 सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स में से एक है. इस संगठन की जरूरत साल 1965 की जंग के बाद बढ़ती गई थी. इसके जवान भारतीय सीमाओं की हिफाजत में हमेशा खड़े रहे हैं. पहली शहादत देने वाले जवान यही हैं.
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केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान देश की आंतरिक सुरक्षा का ख्याल रखते हैं. 28 दिसंबर 1949 को सीआरपीएफ अधिनियम के लागू होने के बाद यह संगठन केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल बन गया. कश्मीर से लेकर नॉर्थ ईस्ट तक, हर संवेदनशील जगहों पर इसके जवान तैनात होते हैं.
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सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (CISF) देश का औद्योगिक सुरक्षाबल है. यह एक ऐसा अर्धसैनिक बदल है, जो देश की प्रमुख संस्थानों की सुरक्षा करता है. इस बल का गठन साल 1969 में हुआ था. इसमें काम करने वाले जवानों की संख्या करीब 1,73,355 है. देशभर के 355 ज्यादा प्रतिष्ठान इस बल के भरोसे हैं. केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के सुरक्षा कवच में आणविक प्रतिष्ठान, अंतरिक्ष अधिष्ठान, हवाई अड्डे, बंदरगाह, ऊर्जा संयंत्र आदि सहित देश की अति संवेदनशील अवसंरचनात्मक संबंधी सुविधाएं शामिल हैं.
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रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) का गठन साल 1957 में हुआ था. यह बल रेलवे की देखरेख करता है. रेलवे परिसर के भीतर इस बल को किसी को गिरफ्तार करने, मुकदमा चलाने और कस्टडी में लेने का हक है. रेलवे की सुरक्षा की संपूर्ण जिम्मेदारी, इस बल के पास है.
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साल 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद सशस्त्र सीमा बल की जरूरत महसूस हुई. इन जवानों को उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू व कश्मीर के इलाकों में तैनात किया गया है. इसके अलावा भारत-नेपाल सीमा पर भी ऐसे जवानों को तैनात किया गया है. पूर्वोत्तर के राज्यों समेत कुल 14 से ज्यादा राज्यों में इनकी तैनाती है.