फिर फव्वारों से कृत्रिम रंगों की ऐसी छटा बिखरी कि विदेशी पर्यटक तक झूम उठे.
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रंगीन रोशनी में नहाए महल होली की अलग ही छटा बिखेर रहे थे. इस दौरान उद्यानों में लोक कलाकारों ने कच्छी घोड़ी, कालबेलिया चरी, तेरहताली, सहरिया और चकरी जैसे नृत्य प्रस्तुत किए. भपंग वादन, ढोला गायन, मशक वादन समेत कई रंगारंग कार्यक्रम हुए.
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जल महलों के गोपाल भवन और नूरजहां के झूले के सामने सैकड़ों फव्वारों से एक साथ विभिन्न रंगों से सजी जल धाराएं निकलकर अठखेलियां करते हुए रंगीन छटा बिखेरने लगी जिसे देख लोग खुशी से झूम उठे.
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गोपाल भवन के पश्चिमी किनारे से इन रंगीन जलधाराओं पर पड़ रही सूर्य रश्मियों से यहां इंद्रधनुषी छटा दिखाई देने लगी तो लोग इस अनुपम दृश्य को बिना पलक झपकाए खुशी से निहारते हुए गिर्राज महाराज के जयकारे लगाने लगे.
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बड़ी संख्या में मौजूद देशी-विदेशी पर्यटक और आसपास से आए लोग इस अनुपम और अलौकिक दृश्य को अपने मोबाइल और कैमरों में कैद करने लगे. लोगों ने लगभग 20 मिनट तक इस रंगीन नजारे का जमकर लुफ्त उठाया. बड़ी संख्या में युवक युवतियां फव्वारों की रंगीन जल धाराओं के बीच फोटो खिंचाते और सेल्फी लेते देखे गए.
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ब्रज महोत्सव के दौरान विश्व प्रसिद्ध जल महलों में रंगीन फव्वारों का प्रदर्शन देखकर कलेक्टर आलोक रंजन बहुत प्रभावित हुए. उन्होंने कहा कि लगभग 350 वर्ष पहले यहां के महान प्रतापी और कला प्रेमी महाराजाओं द्वारा बनाया गया यह फव्वारों का बिना मशीन के चलने वाला इको फ्रेंडली संचालन सिस्टम अनोखा अद्भुत और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अनुकर्णीय है. यहां का अजेय दुर्ग और विश्व प्रसिद्ध जल महल अद्भुत धरोहर है.
(तस्वीर साभार- देवेंद्र सिंह)
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Braj Holi Mahotsav 2022: 6 लाख गैलन पानी से चले रंगीन फव्वारे