सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर नहीं रहीं. रविवार को 92 वर्ष की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. जनवरी में कोविड-19 (Covid-19) से संक्रमित होने के बाद लगातार उनकी सेहत गंभीर बनी रही. बीते कई सप्ताह से वह आईसीयू में थीं. भारत रत्न लता मंगेशकर सही अर्थों में भारत रत्न थीं. उनके नाम 36 भारतीय भाषाओं में 30 हजार से ज्यादा गानों का रिकॉर्ड है. देश उनके निधन से शोकाकुल है. लता दी जब 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत गाती थीं तो देश रो पड़ता था. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी उन्हें सुनकर रो पड़े थे.
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बात 'ऐ मेरे वतन के लोगो' गाने की हो और लता मंगेशकर का नाम ऐसा हो नहीं सकता. इस गाने की कहानी बेहद दिलचस्प है. 27 जनवरी 1963 को लता मंगेशकर ने इस गीत को जवाहर लाल नेहरू के सामने गाया था. इस गीत को कवि प्रदीप ने लिखा था. इसे सुनकर जवाहर लाल नेहरू रो पड़े थे.
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1962 के भारत-चीन युद्ध में भारत की बुरी हार हुई थी. कवि प्रदीप कुछ ऐसा लिखना चाह रहे थे जिसे सुनकर भारत अपने शहीदों के प्रति कतज्ञता जता सके. कवि प्रदीप ने इसी पृष्ठभूमि पर यह गाना लिखा था. जब कवि प्रदीप ने यह गीत लिखा था तभी उनके दिमाग में लता की छवि घूमती रही. प्रदीप जानते थे कि इसे लता के अलावा कोई गाना नहीं गा सकता.
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एक किस्सा यह भी है कि जब कवि प्रदीप ने लता मंगेशकर के सामने प्रस्ताव रखा कि लता यह गाना गाएं तो उन्होंने इनकार कर दिया था. कहा था कि रियाज के लिए उनके पास वक्त नहीं है. जब कवि प्रदीप जिद करने लगे तो थक-हारकर लता दी मान गईं. उन्होंने गणतंत्र दिवस पर यह गीत गाया. पहले लता और आशा दोनों यह गीत गाने वालीं थीं लेकिन आशा ने इनकार कर दिया था. लदा दी ने फिर अकेले गाने का फैसला किया.
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1963 के गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में शरीर होने देश की दिग्गज हस्तियां पहुंची थीं. राष्ट्रपति राधाकृष्णनन, इंदिरा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, दिलीप कुमार, लाल बहादुर शास्त्री समेत देश के कई दिग्गज लोग स्टेडिय में जुटे थे. शहीदों के लिए इस कार्यक्रम के जरिए फंड भी जुटाने की कोशिश हो रही थी. लता मंगेशकर ने जब गाना गया तो दर्शकों के आंखों से आंसू टपक पड़े.
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लता मंगेशकर ने इस गीत को लेकर अलग-अलग इंटरव्यू में बातें की हैं. लता दी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि पूरा स्टेडियम दर्शकों से भरा था. मैंने गीत गाया. दर्शक भाव विभोर हो गए थे. महबूब खान गीत खत्म होने के बाद मेरे पास आए और कहे कि आपको प्रधानमंत्री नेहरू ने बुलाया है. मैं पंडित जी के पास पहुंची उन्होंने कहा कि बहुत अच्छा. मेरी आंखों में पानी आ गया है. यह तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज है. शायद ही कोई ऐसा गीत हो जितना लोकप्रिय हुआ हो. 15 अगस्त से लेकर 16 जनवरी तक हर कार्यक्रम में इस गाने को बजाया जाता है. आज भी लोग इसे सुनकर रो पड़ते हैं.