छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला कभी नक्सलियों और माओवादियों का गढ़ माना जाता था. बस्तर से आने वाली हर खबर यही होती थी कि नक्सली हमने में कहीं जवान शहीद हुए तो कहीं घायल हो गए. सुरक्षाबलों और नक्सलियों की मुठभेढ़ का नुकसान आम लोगों को सबसे ज्यादा उठाना पड़ता था क्योंकि यही लोग दोनों तरफ से पिसते थे. अब इसी बस्तर की तस्वीर बदल रही है. गोली, बम और बारूद की गंध वाला बस्तर अब कॉफी की खुशबू से महक उठा है. उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले कुछ सालों में बस्तर कॉफी उत्पादन का बड़ा हब बनकर उभरेगा.
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बम और गोला, बारूद नहीं, कॉफी बन रही है बस्तर की नई पहचान, देखें PHOTOS
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bastar coffe cultivation and production shows new way for new identity
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