असम (Assam) में बाढ़ त्रासदी बनकर आई है. बुधवार को एक बार फिर स्थिति भयावह हो गई. बाढ़ की चपेट में कई मैदानी इलाके आ गए हैं. असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक बाढ़ की चपेट में करीब 1,413 गांव हैं. नगांव (Nagaon) सबसे ज्यादा प्रभावित जिला है जहां 2.88 लाख लोग आपदा की चपेट में आए हैं. असम के कछार (Cachar) में करीब 1.2 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं वहीं होजई में 1.07 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ के असर से जूझ रहे हैं.
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असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक असम के 27 जिलों में 6.62 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ के कहर से जूझ रहे हैं. मरने वालों की संख्या बढ़कर 9 हो गई है. बाढ़ का कहर कम होता नजर नहीं आ रहा है. मैदानी इलाकों में बाढ़ का खतरा लगातार बढ़ रहा है.
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असम में बाढ़ त्रासदी बनकर आई है. नंगाव जिले के 2.88 लाख लोग बाढ़ की वजह से प्रभावित हैं. कछार में 1.19 लाख लोग, होजई में 1.07 लाख, दरांग में 60,562 लोग, विश्वनाथ में 27282, उदलगुरी जिले में 19755 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. बाढ़ की वजह से करीब 46160.43 हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई है. (तस्वीर-ANI)
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असम के बाढ़ प्रभावित इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. बुधवार को सेना, नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (NDRF), स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (SDRF) और दमकल विभाग की संयुक्त टीमों ने रेस्क्यू ऑपरेशन किया है. बाढ़ में फंसे करीब 8,054 लोगों को बाहर निकाला गया है. (तस्वीर-PTI)
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बाढ़ की वजह से करीब 50 लाख लोग बेघर हो गए हैं. उन्हें राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ रहीहै. अधिकारियों के मुताबिक 14 जिलों में करीब 248 राहत शिविर और जरूरी सामानों के लिए वितरण केंद्र चलाए जा रहे हैं. इन शिविरों में करीब 48,304 लोग रह रहे हैं, जिनमें 6,911 बच्चे शामिल हैं. (तस्वीर ANI)
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असम डिजास्टर मैनेजमेंट के अधिकारियों ने कहा है कि बाढ़ की वजह से विश्वनाथ, बारपेटा, गोलपारा, नगांव, नलबाड़ी, तामुलपुर, बजली, कछार, दरांग, धेमाजी, लखीमपुर, मोरीगांव, सोनितपुर, उदलगुरी, डिब्रूगढ़ और कामरूप में बांध टूटे गए हैं. सड़कों को नुकसान पहुंचा है. पुल और दूसरे बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा है. (तस्वीर: ANI)
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असम के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री केशव महंत ने बुधवार को होजई में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया. उन्होंने ग्रामीणों से बातचीत भी की. (तस्वीर: ANI)
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असम की वन संपदा बेहद संपन्न है. जानवरों की सुरक्षा के लिए वन विभाग ने प्रभावित इलाकों में करीब 40 हाईलैंड बनाए हैं, जहां जानवर जाकर खड़े रह सकते हैं. काजीरंगा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व और दूसरे नेशनल पार्क में भी ऊंचे-ऊंचे टीले बनाए जा रहे हैं. (तस्वीर-ANI)