IIM Bangalore देख लीजिए या अहमदाबाद की CEPT यूनिवर्सिटी या फिर भारत की सबसे पहली प्लांड सिटी चंडीगढ़. ये नाम भारत के आर्किटेक्चर के खूबसूरत उदाहरण हैं. इस सबके पीछे जिस व्यक्ति का दिल, दिमाग और दृष्टि रही उनका नाम है बी.वी.दोशी. 94 साल के दोषी आज भी एक उदाहरण हैं और उनकी उपलब्धियों में एक खास नाम और जुड़ गया है.
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आर्किटेक्ट बालकृष्ण दोशी रॉयल गोल्ड मेडल 2022 हासिल करने वाले पहले भारतीय आर्किटेक्ट बने हैं. ये आर्किटेक्चर की दुनिया का सबसे बड़ा अवॉर्ड और सम्मान माना जाता है. 70 साल के करियर में बी.वी.दोशी ने 100 से ज्यादा प्रोजेक्ट्स पर काम किया. अब उनकी उम्र 94 साल है और वह आज भी भारत में आर्किटेक्चर की दुनिया के लिए एक प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं.
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रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स (RIBA) नाम की संस्था द्वारा ये अवॉर्ड दिया जाता है. इस Royal Gold Medal को खुद Queen Elizebth II द्वारा अप्रूव किया जाता है. इसे किसी ऐसे व्यक्ति या समूह को दिया जाता है जिसने आर्किटेक्चर को दिशा देने में अहम योगदान दिया हो.
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दोशी को उनकी बेहतरीन अर्बन प्लानिंग और सोशल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए जाना जाता है. आर्किटेक्चर के अलावा उन्होंने आर्किटेक्चर की शिक्षा के क्षेत्र में भी अहम योगदान दिया है. वह भारत और दुनिया भर की कई यूनिवर्सिटीज में विजिटिंग प्रोफेसर रह चुके हैं.
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पुणे में सन् 1927 में उनका जन्म हुआ था. उन्होंने मुंबई के जे.जे.स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से पढ़ाई की. उन्होंने चार साल (1951-54) तक पेरिस के ले कोरबेसर में बतौर सीनियर डिजाइनर काम किया और चार साल तक वह अहमदाबाद के स्पेशल प्रोजेक्ट्स को सुपरवाइज करते रहे. उनके ही निरिक्षण में अहमदाबाद का इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट तैयार हुआ था.
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सन् 1956 में उन्होंने दो अन्य आर्किटेक्ट्स के साथ मिलकर वास्तुशिल्प नाम से अपनी खुद की प्रैक्टिस शुरू की. आज वास्तुशिल्प 60 लोगों की एक कंपनी बन चुकी है, जो बेहतरीन आर्किटेक्चर के लिए जानी जाती है.
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बी.वी.दोषी के अहम प्रोजेक्ट्स में शामिल हैं टैगोर हॉल एंड मेमोरियल थियेटर, बंगलुरू का इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, इंदौर का अरण्य लो कोस्ट हाउसिंग, द इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, अहमदाबाद स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर इत्यादि.