Tethys Sea: बता दें कि टेथिस सागर इसके उत्तर में स्थित था. टेक्टोनिक प्लेटों की धीमी गति के कारण भारत की प्लेट उत्तर दिशा में बढ़ने लगी और एशियाई प्लेट से टकराई. इस टक्कर के कारण, टेथिस सागर धीरे-धीरे समाप्त हो गया और इसके स्थान पर हिमालय का निर्माण हो गया.
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टेथिस सागर के अवशेष आज भी भूगर्भीय संरचनाओं और हिमालय की चट्टानों में देखने को मिलते हैं. हिमालय की ऊंची पहाड़ियों में समुद्री जीवों के जीवाश्म पाए गए हैं, जो इस बात का प्रूफ हैं कि कभी यह इलाका समुद्र के नीचे था.
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इन जीवाश्मों में मछलियों, शंखों, और दूसरे समुद्री जीव पाए जाते हैं. यह इस बात का संकेत देता है कि टेथिस सागर के पानी ने यहां लंबे समय तक अपना अस्तित्व बनाए रखा था.
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कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि हिमालय के नीचे अब भी पानी के बड़े भंडार मौजूद हो सकते हैं, जो टेथिस सागर के बचे हुए अवशेष हो सकते हैं. हालांकि, ये पानी सीधे तौर पर एक समुद्र की तरह नहीं है, बल्कि यह भूगर्भीय जल के रूप में दबा हुआ है.
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यह पानी मिट्टी और चट्टानों के अंदर छुपा हो सकता है, जो हिमालय के बनने की प्रक्रिया के दौरान वहां रह गया था. इस भूगर्भीय प्रक्रिया ने न केवल हिमालय को जन्म दिया, बल्कि यह भी दिखाया कि पृथ्वी की सतह कैसे निरंतर बदलती रहती है.
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टेथिस सागर का इतिहास और इसका हिमालय के निर्माण में योगदान, भूगोल और भूगर्भ विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जो यह समझने में हमारी मदद करता है कि कैसे महाद्वीपों की संरचना बदलती है और नई भौगोलिक संरचनाओं का निर्माण होता है.