1971 युद्ध के 50 साल पूरे होने के मौके पर 12 और 13 दिसंबर को देश भर में 2 दिनों का Vijay Parv मनाया जा रहा है. इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमने युद्ध में पाकिस्तान को सीधे हराया है. हम पाकिस्तान को आतंकवाद समेत हर मुद्दे पर जवाब देने के लिए तैयार हैं. रक्षा मंत्री ने दिवंगत सीडीएस को भी इस मौके पर याद किया. आगे की तस्वीरों में देखें इस युद्ध का इतिहास और कैसे भारत ने दिलाई बांग्लादेश को आजादी.
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1971 युद्ध के 50 साल पूरे होने के मौके पर 12 और 13 दिसंबर को देश भर में 2 दिनों का Vijay Parv मनाया जा रहा है. इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमने युद्ध में पाकिस्तान को सीधे हराया है. हम पाकिस्तान को आतंकवाद समेत हर मुद्दे पर जवाब देने के लिए तैयार हैं. रक्षा मंत्री ने दिवंगत सीडीएस को भी इस मौके पर याद किया. आगे की तस्वीरों में देखें इस युद्ध का इतिहास और कैसे भारत ने दिलाई बांग्लादेश को आजादी.
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1971 के युद्ध में भारत की ऐतिहासिक जीत के मौके पर इंडिया गेट पर स्वर्णिम विजय पर्व का उद्घाटन किया. तीनों सेनाओं के युद्ध कौशल और विजय इतिहास को दिखाने वाली एक प्रदर्शनी भी लगाई है. इसी युद्ध के बाद पाकिस्तान के 2 हिस्से हुए थे और पूर्वी पाकिस्तान अलग होकर बांग्लादेश बना था.
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पाकिस्तान की स्थापना के बाद से ही उसके पूर्वी हिस्से में बहुसंख्यक बंगाली मुसलमानों पर अत्याचार शुरू हो गए थे. भारत ने शुरुआत से ही इसका पुरजोर विरोध किया था. 1971 में आज के ही दिन ढाका और आसपास के हिस्से में जारी विरोध दबाने के लिए पाकिस्तानी सेना भेजी गई थी.
(तस्वीर: युद्ध के दौरान की)
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पाकिस्तान ने अपना एक मिशन भारत के खिलाफ शुरू कर दिया और उसे ऑपरेशन चंगेज खान नाम दिया था. इस मिशन के तहत पाक लड़ाकू विमानों का पहला हमला 5:45 बजे अमृतसर के युद्ध ठिकानों पर किया गया. दूसरा हमला पठानकोट, श्रीनगर और अवंतीपुर पर हुआ. फरीदकोट पर भी बम गिराए गए.
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इस हमले की जानकारी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को कोलकाता (उस समय कलकत्ता था) में एक जनसभा के दौरान हुई. इंदिरा ने दिल्ली लौटते ही सेना प्रमुख सैम मानेकशॉ को जवाबी हमले का आदेश दिया. 13 दिन चली इस लड़ाई में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी. पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी ने 93 हजार से ज्यादा सैनिकों के साथ सरेंडर किया था. उन्होंने भारत के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने युद्ध दस्तावेज पर साइन किए.
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भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रेडियो से विजय के साथ ही नए देश के जन्म की घोषणा की. उन्होंने कहा, 'बांग्लादेश अब एक स्वतंत्र देश है और ढाका इस नए देश की राजधानी है.' पिछले 50 वर्षों में भारत और बांग्लादेश के संबंध लगातार मजबूत हुए हैं.