डीएनए हिंदी: राजस्थान एक बार फिर से गैंगवार की वजह से चर्चा में है. गैंगस्टर राजू ठेहट (Gangster Raju Thehat) को शनिवार के दिन सीकर जिले में दिन-दहाड़े गोली मार दी गई. चार बदमाशों ने राजू ठेहट को घेरकर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं और उसकी जान ले ली. अब लॉरेन्स बिश्नोई गैंग (Lawrence Bishnoi) के रोहित गोदारा ने इस हत्याकांड की जिम्मेदारी ली है. रोहित गोदारा (Rohit Godara) ने कहा है कि उसने आनंदपाल सिंह (Anandpal Singh) और बलवीर बानूड़ा की हत्या का बदला ले लिया है. हमलावरों की खोजबीन शुरू कर दी गई है और राजस्थान पुलिस हाई अलर्ट पर है.
शराब कारोबारी से डॉन और गैंगस्टर बनने वाला राजू ठेहट लंबे समय से राजस्थान में अपराध का बड़ा चेहरा था. आनंदपाल सिंह को पहले ही पुलिस एनकाउंटर में मारा जा चुका है. राजू ठेहट के नाम से राजस्थान में लंबे समय से रंगदारी, अपहरण और हत्या जैसे अपराध जारी हैं. राजू ठेहट के बारे में कहा जाता है कि उसके चारों ओर उसके साथी हमेशा बंदूक लेकर चलते थे. अपने नाम का खौफ बनाने के लिए राजू ठेहट इस तरह का दिखावा किया करता था.
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कौन था राजू ठेहट? कैसे बना डॉन?
आज से लगभग 27 साल पहले यानी साल 1995 में राजू ठेहट ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की. सीकर जिले के शेखावाटी इलाके का एसके कॉलेज राजनीति का केंद्र हुआ करता था. शराब कारोबारी गोपाल फोगावट उन दिनों एबीवीपी का कार्यकर्ता था. गोपाल के दबदबे के चलते राजू ठेहट भी उसी की शरण में चला गया. उसने भी शराब का धंधा शुरू कर दिया. इसी दौरान उसकी मुलाकात बलवीर बानूड़ा से हुई जो दूध का व्यापार करता था.
राजस्थान के सीकर में 'शूटआउट', गैंगस्टर राजू ठेहट के मर्डर के बाद बीच सड़क बदमाशों ने दागी गोलियां, लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने ली हत्या की जिम्मेदारी #Rajasthan #LawrenceBishnoi @Payodhi_Shashi pic.twitter.com/fayKaECKSf
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साल 1998 में राजू ठेहट और बलवीर बानूड़ा ने ही सीकर में भेभाराम हत्याकांड को अंजाम दिया. साल 1998 से 2004 तक शराब के धंधे के बलबूते इन दोनों ने जमकर आतंक मचाया. शराब का धंधा करने वाले हर शख्स को प्रोटेक्शन मनी देनी पड़ती थी. प्रोटेक्शन मनी न देने पर अंजाम बुरा होता था. साल 2004 में राजू ठेहट और बलवीर बानूड़ा को शराब का ठेका भी मिल गया. ठेके पर नौकरी करता था बलवीर बानूड़ा का साला विजयपाल. कहा जाता है कि पैसों और हिसाब-किताब को लेकर राजू ठेहट ने विजयपाल की हत्या कर दी और यहीं से राजू और बलवीर बानूड़ी की दुश्मनी हो गई.
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गोपाल फोगावट की हत्या ने बिगाड़ दिया खेल
राजू ठेहट गोपाल फोगावट का करीबी था. इसीलिए बदले की आग में जल रहा बनवीर बानूड़ा नागौर जिले के आनंदपाल सिंह से जा मिला. गोपाल फोगावट और राजू को चुनौती देने के लिए आनंदपाल और बलवीर बानूड़ा ने भी खुद को मजबूत करना शुरू किया. इन दोनों ने भी अवैध शराब और खनन का धंधा शुरू हुआ. साल 2006 में आनंदपाल और बलवीर ने मिलकर गोपाल फोगावट की हत्या कर दी. इस बीच पुलिस की दबिश बढ़ी तो दोनों गैंग अंडरग्राउंड हो गए.
साल 2012 में पुलिस ने बलवीर बानूड़ा, आनंदपाल और राजू ठेहट को गिरफ्तार कर लिया गया. 26 जनवरी 2013 को जेल में ही बनवीर बानूड़ा के करीबी सुभाष बराल ने राजू ठेहट पर हमला कर दिया. साल 2014 में बलवीर बानूड़ा और आनंदपाल पर हमला हुआ. इस हमले में आनंदपाल तो बच गया लेकिन बलवीर बानूड़ा मारा गया. साल 2017 में आनंदपाल को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया.
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राजू ठेहट को इसी साल पैरोल मिली थी और वह जेल से बाहर आया था. पिछले कुछ सालों में राजस्थान और आसपास के इलाकों में लॉरेन्स बिश्नोई गैंग का आतंक फैला है. आनंदपाल गैंग के ज्यादातरg लोग बिश्नोई गैंग में शामिल हो चुके हैं. बिश्नोई गैंग के अपराधियों ने ही पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या कर दी थी. अब इसी गैंग से जुड़े रोहित गोदारा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके कहा है कि आनंदपाल और बलवीर बानूड़ा की हत्या का बदला पूरा हो गया है.
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कौन था राजू ठेहट? पढ़िए शराब कारोबारी से डॉन बनने तक का सफर