डीएनए हिंदी: पश्चिम बंगाल (West Bengal) के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे. साल 2019 में जगदीप धनखड़ ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल का पद संभाला था. अब वह देश के उपराष्ट्रपति पद के प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं.
भारतीय जनता पार्टी संसदीय बोर्ड की बैठक में शनिवार शाम उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम पर चर्चा हुई.बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने खुद ऐलान किया कि जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसदीय बैठक के फैसले पर बेहद खुश हैं. उन्होंने खुद ट्वीट कर कहा है कि किसान पुत्र जगदीप धनखड़ जी अपनी विनम्रता के लिए जाने जाते हैं. वह अपने साथ एक शानदार कानूनी, विधायी और गवर्नर करियर लेकर आए हैं. उन्होंने हमेशा किसानों, युवाओं, महिलाओं और वंचितों की भलाई के लिए काम किया है. खुशी है कि वह हमारे वीपी उम्मीदवार होंगे.
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पीएम मोदी ने कहा है कि जगदीप धनखड़ को हमारे संविधान का उत्कृष्ट ज्ञान है. वह विधायी मामलों से भी अच्छी तरह वाकिफ हैं. मुझे विश्वास है कि वह राज्य सभा में एक उत्कृष्ट अध्यक्ष होंगे और राष्ट्रीय प्रगति को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सदन की कार्यवाही का मार्गदर्शन करेंगे.
कौन हैं जगदीप धनखड़?
जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान झुंझुनू जिले के किठाना गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम गोकल चंद और माता का नाम केसरी देवी है. जगदीप धनखड़ की शुरुआती पढ़ाई किठाना गांव में ही हुई है. उन्होंने गांव के ही प्राइमरी स्कूल में शिक्षा ली थी. उन्होंने जयपुर के महाराजा कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की है. वह फिजिक्स से बीएससी हैं. उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई भी की है. जगदीप धनखड़ हमेशा से पढ़ाई में अव्वल रहे हैं.
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साल 1979 को उन्होंने पहली बार राजस्थान बार काउंसिल में अधिवक्ता के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराया था. राजस्थान हाई कोर्ट ने उन्हें 1990 को सीनियर एडवोकेट के तौर पर नामित किया था. राज्यपाल पद संभालने से पहले तक वह राजस्थान हाई कोर्ट के सीनियर मोस्ट काउंसिल थे.
ममता से तल्खी, पीएम के करीबी
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के तौर पर जगदीप धनखड़ का रुख ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ ही रहा है. विधानसभा में भी दोनों नेताओं के बीच तल्खी साफ नजर आती रही है. ममता बनर्जी भी उन पर संवैधानिक पद के दुरुपयोग का आरोप लगाती रही हैं. जगदीप धनखड़ ममता बनर्जी सरकार के धुर आलोचकों में शुमार रहे हैं. वह राज्य की राजनीतिक अस्थिरता के लिए तृणमूल कांग्रेस सरकार को दोष देते रहे हैं. वह राज्य में भड़की हिंसा के लिए भी टीएमसी को ही जिम्मेदार ठहराते रहे हैं. ममता बनर्जी और उनमें राजनीतिक तल्खियां इस कदर बढ़ गईं थीं कि उन्हें हटाने की मांग को लेकर टीएमसी प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से मुलाकात की थी. इन सब के बीच जगदीप धनखड़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी नेताओं में शुमार रहे हैं.
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कैसा रहा है सियासी सफर?
जगदीप धनखड़ जनता दल के जमाने से राजनीति में है. वह साल 1989 में झुंझनुं से सांसद बने थे. वह 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं. वह कांग्रेस में भी रह चुके है. 2003 में वह बीजेपी में शामिल हो गए. 30 जुलाई 2019 को उन्होंने बंगाल के 28वें राज्यपाल का पद संभाला था.
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