डीएनए हिंदी: देश में बढ़ती हुई महंगाई के अंतर्गत गेहूं और आटा, सूजी और मैदा की कीमतें बढ़ रही हैं. ऐसे में बढ़ती कीमतों के चलते ही अब सरकार खुले बाजार में 18 से 20 लाख टन गेहूं बेचेगी. गरीबों को मुफ्त अनाज बांटे जाने वाली प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के एनएफएसए में समाहित होने के बाद सरकारी गोदामों में गेहूं का पर्याप्त स्टॉक है. बाजार में गेहूं की मांग व आपूर्ति में बढ़ते अंतर के चलते पिछले एक सप्ताह में कीमतों में तेजी आई हैं जिसे सरकार ने भांप लिया है.
बता दें कि बाजार में गेहूं की बढ़ती महंगाई से सरकार भी चिंतित लग रही है. खुले बाजार में गेहूं बेचने को लेकर खाद्य सचिव ने कहा था कि इसका फैसला जल्दी ही किया जाएगा. गेहूं और उसके उत्पादों की महंगाई रोकने के लिए हस्तक्षेप करेगी. चालू रबी सीजन में खेतों में खड़ी गेहूं की फसल बहुत अच्छी है, जिससे रिकार्ड उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है.
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इस पॉलिसी की बात करें तो भारत सरकार द्वारा गेहूं चावल की कीमतों में तालमेल बैठाने के लिए समय-समय पर थोक उपभोक्ताओं और निजी व्यापारियों को खुले बाजार में पूर्व निर्धारित कीमतों पर गेहूं और चावल जैसे अनाजों को बेचने की अनुमति मिलती है. सरकार की इस पॉलिसी का मकसद मंदी के दौर में आपूर्ति को बढ़ावा देना और सामान्य खुले बाजार की कीमतों को कम करना है. महंगाई को देखते हुए आटा मिलों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें एफसीआई से गेहूं के स्टॉक को सेल की अनुमति मिले.
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गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने मई 2022 में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. सरकार ने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि घरेलू उत्पादन में मामूली गिरावट और केंद्रीय पूल के लिए एफसीआई की खरीद में कमी आ रही थी. खास बात यह भी है कि साल 2021 और 22 से गेहूं उत्पादन 106.84 मिलियन टन हुआ था जो कि कम था क्योंकि 2019-20 में यह उत्पादन 109.59 मिलियन टन रहा करता था.
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खुले बाजार में गेहूं क्यों बेच रही है भारत सरकार, कहीं पाकिस्तान जैसा खतरा तो नहीं आ रहा?