Pm Modi on India China ties: चीन ने पीएम मोदी के हालिया टिप्पणी की सराहना की जिसमें उन्होंने चीन-भारत के बीच मतभेदों से निपटने के लिए बातचीत की वकालत की. बीजिंग ने पीएम मोदी की टिप्पणी का स्वागत किया और इसे सकारात्मक रूप में देखा. चीन ने इस बात पर जोर डाला कि दो देशों के बीच हाथी और ड्रैगन का मिलकर डांस करना ही साझी सफलता का रास्ता है
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, 'हाल के महीनों में, दोनों पक्षों ने अपने नेताओं द्वारा पहुंची महत्वपूर्ण सहमति को ईमानदारी से लागू किया है, विभिन्न स्तरों पर आदान-प्रदान और व्यावहारिक सहयोग को मजबूत किया है और कई सकारात्मक परिणाम हासिल किए हैं.'
माओ ने आगे कहा, 'चीन और भारत के बीच सहयोग ही एकमात्र सही विकल्प है.' उन्होंने कहा, 'हाथी-ड्रैगन डांस साझी सफलता को बढ़ाता है और भारत-चीन के बीच समन्वय का यही सही तरीका है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चीन भारत के साथ काम करने के लिए तैयार है. दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी सहमति को आगे बढ़ाया जाएगा. राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ का इस्तेमाल विभिन्न क्षेत्रों और स्तरों पर सहयोग को बढ़ावा देने के अवसर के रूप में कर रहा है.'
पॉडकास्ट में क्या बोले मोदी?
बता दें, अमेरिकी पॉडकास्टर और एआई शोधकर्ता लेक्स फ्रिडमैन के साथ अपने पॉडकास्ट साक्षात्कार में, पीएम मोदी ने चीन के साथ भारत के संबंधों पर चर्चा करते हुए कहा कि पड़ोसियों के बीच असहमति स्वाभाविक है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मतभेदों को विवाद में न बदलने के लिए संवाद महत्वपूर्ण है.
पीएम मोदी ने कहा, '2020 में सीमा पर हुई घटनाओं ने हमारे देशों के बीच काफी तनाव पैदा किया. हालांकि, राष्ट्रपति शी के साथ मेरी हालिया बैठक के बाद, हमने सीमा पर सामान्य स्थिति की वापसी देखी है. हम अब 2020 से पहले की स्थितियों को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं.'
2020 में क्या हुआ था?
मई 2020 में गलवान घाटी में सैन्य गतिरोध के बाद भारत और चीन के बीच संबंध खराब हो गए थे. पिछले साल 21 अक्टूबर को भारत ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त करने के लिए चीन के साथ एक समझौते की घोषणा की, जो गतिरोध को हल करने में एक बड़ी सफलता थी.
अक्टूबर में, पीएम मोदी ने रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने LAC पर गश्त और विघटन पर भारत-चीन समझौते का समर्थन किया और द्विपक्षीय वार्ता तंत्र को पुनर्जीवित करने पर सहमति व्यक्त की. शी के साथ अपनी बैठक पर चर्चा करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि करीबी रिश्तों में भी कभी-कभी असहमति की उम्मीद की जाती है.
उन्होंने कहा, 'हमारे संबंध भविष्य में भी ऐसे ही मजबूत बने रहने चाहिए और इसे आगे भी बढ़ाना चाहिए. जब दो पड़ोसी देश होते हैं तो मतभेद स्वाभाविक हैं. सब कुछ सही नहीं होता. कलह के बजाय, हम संवाद पर जोर देते हैं क्योंकि केवल संवाद के माध्यम से ही हम एक स्थिर और सहकारी संबंध बना सकते हैं जो दोनों देशों के सर्वोत्तम हितों की सेवा करता है.' प्रधानमंत्री ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में विश्वास, उत्साह और ऊर्जा की वापसी में 'पांच साल के अंतराल' को देखते हुए समय लगेगा.
उन्होंने कहा, 'यह सच है कि हमारे बीच सीमा विवाद चल रहे हैं. धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से, विश्वास, उत्साह और ऊर्जा वापस आ जाएगी. लेकिन निश्चित रूप से, इसमें कुछ समय लगेगा, क्योंकि पांच साल का अंतराल रहा है.'
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पीएम मोदी ने कहा कि भारत और चीन के बीच 'संघर्षों का कोई वास्तविक इतिहास' नहीं है. 'दोनों देशों की प्राचीन संस्कृतियां और सभ्यताएं हैं. सदियों से, भारत और चीन ने एक-दूसरे से सीखा है और एक-दूसरे को समझा है. साथ मिलकर उन्होंने हमेशा किसी न किसी तरह से वैश्विक भलाई में योगदान दिया है. पुराने रिकॉर्ड बताते हैं कि एक समय पर, भारत और चीन अकेले ही जीडीपी का 50 प्रतिशत हिस्सा थे. भारत का योगदान इतना बड़ा था.'
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PM Modi ने Podcast में ऐसा क्या कहा कि चीन बोला-'ड्रैगन-हाथी डांस ही एकमात्र सही विकल्प है'