सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को लेकर सुनवाई हुई. इस दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि नया संशोधित कानून वक्फ संपत्ति के कंट्रोल को छीनने वाला है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दलील रखी कि अगर वक्फ संपत्ति को लेकर कोई विवाद होता है तो इसका फैसला करने वाला भी सरकार का अधिकारी होगा. नए कानून के तहत कोई भी वक्फ की संपत्ति पर आपत्ति जता सकता है.

कपिल सिब्बल ने सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच के सामने दलील दी कि नए वक्फ कानून में कलेक्टर के जांच करने की भी कोई समय सीमा नहीं है. जब तक रिपोर्ट नहीं आएगी, संपत्ति वक्फ नहीं हो सकती. सिब्बल ने  पीठ को वक्फ का मतलब समझाते हुए कहा कि वक्फ अल्लाह को किया गया दान है. एक बार किसी ने अपनी जमीन वक्फ कर दी, फिर उसे किसी और के लिए ट्रांसफर नहीं किया जा सकता. एक बार वक्फ की गई संपत्ति हमेशा वक्फ की ही रहेगी. सिब्बल ने दलील देते हुए आगे कहा कि मंदिरों की तरह मस्जिदों में चढ़ावा नहीं होता. ये संस्थाएं दान से चलती हैं.

इस पर CJI गवई ने पूछा कि दरगाहों में तो चढ़ावा होता है. सिब्बल ने कहा कि मैं मस्जिदों की बात कर रहा हूं, दरगाह अलग हैं. उन्होंने कहा कि मंदिरों में चढ़ावा आता है, लेकिन मस्जिदों में नहीं और यही 'वक्फ बाई यूजर' है. बाबरी मस्जिद भी ऐसी ही थी. 1923 से लेकर 1954 तक अलग-अलग प्रावधान हुए, लेकिन बुनियादी सिद्धांत यही रहे.

'तीन मुद्दों पर रखें फोकस'
इसपर सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखा. मेहता ने कहा कि शुरुआत में तीन प्वाइंट तय किए गए. हमने तीन पर जवाब दिए, लेकिन पक्षकारों ने इन तीन मुद्दों से भी अलग मुद्दों का जिक्र किया है. मुझे लगता है कि कोर्ट सिर्फ तीन मुद्दों पर फोकस रखे. हालांकि, कपिल सिब्बल ने सॉलिसिटर जनरल की बात का विरोध किया और कहा कि हम तो सभी मुद्दों पर दलील रखेंगे.

सिब्बल ने कहा कि पिछली सुनवाई में कहा गया था कि अगर अंतरिम आदेश जारी करने की जरूरत होगी तो अदालत जारी करेगी. इस पर एसजी तुषार मेहता ने अदालत के सामने पिछला आदेश पढ़ा. सॉलिसिटर जनरल ने आदेश पढ़ते हुए कहा कि सरकार ने अंडरटेकिंग दी है कि बोर्ड सदस्यों की नियुक्ति, Waqf by User और डीएम की भूमिका पर बात हुई थी. ये ही तीन मुद्दे थे, जिन पर सरकार ने अंडरटेकिंग दी थी.

'अब कोई व्यक्ति 5 साल से पहले वक्फ नहीं कर सकता'
सिब्बल ने आगे कहा, 'नया कानून कहता है कि जैसे ही किसी भी इमारत को ASI ACT के तहत प्राचीन संरक्षित स्मारक घोषित किया जाता है. उस पर वक्फ का अधिकार खत्म हो जाएगा. नए कानून में प्रावधान किया गया है कि धर्मांतरण के जरिए इस्लाम अपनाने वाला व्यक्ति 5 साल से पहले वक्फ नहीं कर सकता. यह प्रावधान पूरी तरह असंवैधानिक है. पहले वक्फ बोर्ड में लोग चुनकर आते थे और सभी मुस्लिम होते थे. अब सभी सदस्य मनोनीत होंगे और 11 सदस्यों में से 7 अब गैर मुस्लिम हो सकते हैं.'

(With IANS input)

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वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी
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'मंदिरों की तरह मस्जिदों में चंदा नहीं आता, यहां अल्लाह के नाम...' कपिल सिब्बल ने CJI गवई के सामने क्यों दी ये दलील?

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