डीएनए हिंदी: मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाला (Vyapam Scam) अब तक का सबसे बड़ा शैक्षणिक घोटाला माना जाता है. इस मामले में कोर्ट में चल रही सुनवाई का हाल यूं है कि जजों की ही कमी पड़ गई है. व्यापम घोटाले से जुड़े ज्यादातर मामलों की सुनवाई सीबीआई की विशेष अदालत (CBI Special Court) में हो ही है. साल 2012 और 2013 में पीएमटी (PMT) परीक्षा में हुए 'इंजन बोगी' घोटाले समेत कुल 54 मामलों की सुनवाई एक ही अदालत कर रही है. इस मामले में आरोपियों की संख्या 1,300 है और 2,000 से ज्यादा गवाह हैं. वकीलों की संख्या 5,00 से भी ज्यादा है और इन सबकी सुनवाई के लिए जज सिर्फ़ एक हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि न्याय आखिर मिलेगा कब?

मध्य प्रदेश पुलिस और सीबीआई की जांच रिपोर्ट (चार्जशीट) के आधार पर, जालसाजी, धोखाधड़ी, रिश्वतखोरी, सरकारी कार्यालय के दुरुपयोग और कई अन्य से संबंधित बहु-स्तरीय घोटाले में परीक्षण भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में विभिन्न जिला अदालतों में चल रहे हैं. ज्यादातर मामलों की सुनवाई भोपाल की एक विशेष सीबीआई अदालत में हो रही है. 2012 और 2013 में पीएमटी परीक्षा में 'इंजन बोगी' घोटाले सहित 54 मामलों की सुनवाई एकल अदालत कर रही है, जिसमें 1,300 से अधिक आरोपी है.

यह भी पढ़ें- सचिन पायलट को मिलेगी राजस्थान की गद्दी या कोई तीसरा चेहरा? आज होगा फैसला

जमानत पर बाहर हो चुके हैं मुख्य आरोपी
हालांकि, व्यापम परीक्षाओं में अनियमितताएं और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के कर्मचारियों की भर्ती में पहली बार 2001 में देखी गई थी. भ्रष्ट नौकरशाहों, सत्ताधारी और विपक्षी दोनों पार्टियों के राजनेताओं, और रैकेटियों और बिचौलियों का एक मजबूत गठजोड़ अपनी योजनाओं को अंजाम देता रहा. जब तक कि 2013 इसका पर्दाफाश नहीं हो गया. तब से लगभग एक दशक और बीत चुका है और सभी प्रमुख आरोपी जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल थे, उन्हें अंतरिम या सशर्त जमानत मिल गई है.

सीबीआई द्वारा 2,000 से ज्यादा लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी और अब केवल वही आरोपी जेल में हैं जिन्हें दोषी ठहराया गया है. इनमें से कुछ की मौत हो गई है, जिनमें एमपी के पूर्व राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे शैलेश यादव भी शामिल हैं. अगर ऐसा ही चलता रहा तो इस बहुस्तरीय घोटाले की सुनवाई पूरी होने में एक दशक और लग सकता है और इसका कारण स्पष्ट है कि मामलों से निपटने वाली अदालतें अत्यधिक बोझिल हैं. विशेष रूप से व्यापम से संबंधित मामलों को सौंपी गई विशेष अदालतों में दैनिक आधार पर मामलों की सुनवाई हो रही है.

यह भी पढ़ें- अंकिता हत्याकांड: 5 रिसॉर्ट सील, सीएम के संपर्क में है पीड़िता का परिवार 

हर दिन बहस करते हैं सैकड़ों वकील
भोपाल जिला अदालत में केंद्रीय एजेंसी (सीबीआई) का प्रतिनिधित्व करने वाले विशेष लोक अभियोजक (पीपी) ने कहा, 'व्यापम पर दैनिक सुनवाई के साथ, अब तक 50 प्रतिशत मामलों का निपटारा किया गया है. अक्सर अदालत सुनवाई जारी रखती है लेकिन यह भी एक तथ्य है कि अदालत पर बहुत ज्यादा बोझ है. अब, इंजन-बोगी मामले में 1,300 से ज्यादा आरोपी हैं. इसके अलावा, कई बचाव पक्ष के वकील हैं और अदालत को उनका पालन करना होगा. दोनों पक्षों के वकीलों को अपनी बात कहने के लिए समान समय देना होता है.'

उन्होंने कहा कि अकेले इंजन-बोगी मामले में 1300 से अधिक आरोपियों के लिए, कम से कम 500-600 बचाव पक्ष के वकील मामले में प्रत्येक गवाह से जिरह करते हैं. इस मामले में गवाहों की सामूहिक संख्या लगभग 2,000 है. दिनकर ने दावा किया, इनके अलावा, कुछ अन्य सीबीआई मामले हैं, जिनसे अदालत को रोजाना निपटना पड़ता है. अदालत की कार्यवाही शुरू होने के बाद से लगभग 30 आरोपियों की मौत हो चुकी है.

यह भी पढ़ें- 'TMC के 21 विधायक मेरे संपर्क में, बस इंतजार करिए', BJP नेता मिथुन चक्रवर्ती का दावा

अब सिर्फ़ एक जज की अदालत में हो रही है सुनवाई
इससे पहले विशेष रूप से भोपाल में, 2015 में व्यापम से संबंधित मामलों में सुनवाई करने के लिए पांच अदालतें थीं. हालांकि, अब न्यायमूर्ति नीतिराज सिंह सिसोदिया की एक ही अदालत व्यापम से संबंधित सभी मामलों की सुनवाई कर रही है. दिनकर ने कहा, 2015 में मल्टी-लेयर व्यापम मामले से निपटने के लिए पांच विशेष अदालतों को अधिसूचित किया गया था. बाद में 2019 में, मामले से निपटने वाली अदालतों की संख्या घटाकर तीन कर दी गई और 2021 से सभी मामलों की सुनवाई एक ही अदालत कर रही है.' इस घोटाले में व्यापम या मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा राज्य में सरकारी नौकरियों में भर्ती और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आयोजित 13 विभिन्न परीक्षाएं शामिल थीं.

आपको बता दें कि इस घोटाले के बारे में पहली बार 2013 में व्हिसलब्लोअर के एक समूह ने जानकारी दी थी. जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोटाले की जांच के लिए राज्य पुलिस के एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) का गठन किया था. जांच के दौरान कई आरोपियों और गवाहों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई और वे सभी मौतें अभी भी एक रहस्य बनी हुई हैं. उन लगभग सभी मौत के मामलों में, जांच टीमों ने अदालतों में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है.

यह भी पढ़ें- परिवार भारतीय लेकिन महिला विदेशी, SC ने असम NRC को बताया अन्याय

मामले में संदिग्ध मौतों की संख्या के कारण, राज्य सरकार और एसटीएफ के बारे में सवाल उठाए गए और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में व्यापम मामले को सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया. दागी संगठन को लेकर शिवराज सिंह चौहान सरकार ने दो बार व्यापम का नाम बदला- पहली बार 2015 में और फिर फरवरी 2022 में और अब विभाग को कर्मचारी चयन बोर्ड (एसएसबी) कहा जाता है. परीक्षा और भर्तियों के संचालन के लिए जिम्मेदार बोर्ड को तकनीकी शिक्षा विभाग से राज्य सरकार के सामान्य प्रशासनिक विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया है वहीं, हजारों युवा जिनका करियर खराब हो गया और मरने वालों के परिजन आज भी इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
Vyapam Scam madhya pradesh more than thousand and accused and 54 cases only one judge
Short Title
व्पायम: 54 केस, 1,300 आरोपी और सैकड़ों वकील, सुनवाई के लिए सिर्फ़ एक जज
Article Type
Language
Hindi
Created by
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
व्यापम केस में जा चुकी है कई लोगों की जान
Caption

व्यापम केस में जा चुकी है कई लोगों की जान

Date updated
Date published
Home Title

व्पापम: 54 केस, 1,300 आरोपी और सैकड़ों वकील, सुनवाई के लिए सिर्फ़ एक जज