डीएनए हिंदी: 15 सितंबर को प्रत्येक वर्ष इंजीनियर्स डे यानी अभियंता दिवस मनाया जाता है. खास बात यह है कि इस दिन देश के महान अभियंता और भारत रत्न प्राप्त मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म हुआ था. उनकी जयंती को स्मरण करने के लिए ही प्रत्येक वर्ष अभियंता दिवस मनाया जाता है.
विश्वेश्वरैया एक महान इंजीनियर थे. वे अपने समय के बहुत बड़े इंजीनियर थे. भारत में उन्हें एक बेहतरीन वैज्ञानिक के तौर पर जाना जाता है. अहम बात यह है कि वे केवल भारत ही नही बल्कि पूरी दुनिया में उनकी प्रतिभा के चर्चे थ. टेक्नोलॉजी को लेकर उनकी सोच के चलते देश ने कई अहम मुका हासिल किए. इसलिए केंद्र सरकार ने वर्ष 1968 में उनके जन्मदिन को इंजीनियर्स डे के रूप में मनाने का निर्णय लिया था.
आजादी से पहले दक्षिण भारत के मैसूर को कर्नाटक का सबसे विकसित और समृद्धशाली क्षेत्र बनाने में मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का अभूतपूर्व योगदान रहा था. जब देश गुलाम था, तब कृष्णराज सागर बांध, भद्रावती आयरन एंड स्टील वर्क्स, मैसूर संदल ऑयल एंड शॉप फैक्ट्री, मैसूर विश्वविद्यालय, बैंक ऑफ मैसूर का निर्माण विश्वेश्वरैया की देखरेख में हुआ था. इसलिए उन्हें कनार्टक का भागीरथ कहा जाता है और यह उनकी एक बड़ी उपलब्धि थी.
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महज 32 वर्ष की उम्र में विश्वेश्वरैया ने सिंधु नदी से सुक्कुर कस्बे को पानी भेजने का प्लान तैयार किया था. वहीं सरकार ने सिंचाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए एक प्लान बनाया था विश्वेश्वरैया ने एक ब्लॉक सिस्टम बनाया था जिसे सभी ने पसंद किया था. ऐसे में उन्होंने बांध बनाकर उसके पानी को स्टील के दरवाजों से रोका उनके सिस्टम की प्रशंसा अंग्रेज अधिकारियों ने भी की थी. उनकी इस प्रणाली को आज पूरा विश्व अपना रहा है.
आपको बता दें कि विश्वेश्वरैया का जन्म कर्नाटक के मुद्देनाहल्ली नामक स्थान पर 15 सितंबर 1861 में हुआ था. उनके पिता वैद्य थे और गरीब परिवार में जन्मे विश्वेश्वरैया बचपन से ही आर्थिक संकट से जूझते रहे. उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई. इसके बाद वे बैंगलुरू के सेंट्रल कॉलेज में पढ़ें.
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इसके बाद साल 1881 में ग्रेजुएट में अव्वल आने के बाद उन्होंने मैसूर सरकार की मदद से पुणे स्थित साइंस कॉलेज में दाखिला लिया और 1883 में एलसीई व एफसीई में पहला स्थान लाकर अपनी योग्यता का परिचय दिया. उनकी इसी उपलब्धि के कारण महाराष्ट्र सरकार ने विश्वेश्वरैया को नासिक के सहायक इंजीनियर पद पर नियुक्त किया था.
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Modern India के 'विश्वकर्मा' थे विश्वेश्वरैया जिनकी तकनीक का विदेश में भी बजा डंका