डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले कुछ दिनों से आंतरिक टकराव के चलते विवादों में रही शिवसेना (Shivsena) दो गुटों में जाने के बाद असमंजस की स्थिति में लग रही है क्योंकि उपराष्ट्रपति चुनावों (President Election) को लेकर आज विपक्षी दल ने अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है. विपक्षी दलों ने मार्गरेट अल्वा (Margaret Alva) को उम्मीदवार बनाया है. वहीं एनडीए (NDA) की तरफ से पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) को प्रत्याशी चुना गया है. इस राजनीतिक घटनाक्रम के बाद ही शिवसेना का कन्फ्यूजन सामने आया है.
दरअसल शिवसेना ने ऐलान किया है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में पार्टी यूपीए के संयुक्त उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा का समर्थन करेगी. शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) अल्वा के नाम का ऐलान करने से पहले एनसीपी प्रमुख शरद पावर (Sharad Pawar) के घर पर हुई बैठक में शामिल हुए थे. वहीं बाद में संजय राउत ने कहा कि उपराष्ट्रपति के चुनाव में विपक्षी एकता बनी हुई है.
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मार्गरेट अल्वा का समर्थन
संजय राउत ने द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का जिक्र करते हुए कहा, "द्रौपदी मुर्मू एक आदिवासी महिला हैं और देश में आदिवासियों के लिए लोगों के मन में संवेदना है. हमारे बहुत सारे विधायक और सांसद भी आदिवासी समुदाय से हैं, इसीलिए हमने उनका समर्थन करने का ऐलान किया है. हालांकि यहां हम मार्गरेट अल्वा का समर्थन करेंगे."
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मुर्मू के समर्थन पर उठे थे सवाल
शिवसेना सांसद राउत ने मुर्मू का समर्थन करने का मतलब यह नहीं है कि वे भाजपा का समर्थन कर रहे हैं. आपको बता दें कि शिवसेना ने ऐलान कर रखा है कि वो राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करेगी. इसके इसके बाद से महाराष्ट्र में विपक्षी दलों के महागठबंधन यानी महाविकास अघाड़ी गठबंधन में फूट की खबरें सामने आने लगी थी और इसकों लेकर दबे मुंह एनसीपी और कांग्रेस के नेता शिवसेना पर बरस भी पड़े थे.
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एनसीपी कांग्रेस को खुश करने की कोशिश?
वहीं राष्ट्रपति चुनावों के विपरीत अब उपराष्ट्रपति चुनावों में शिवसेना ने एक बार फिर विपक्षी दलों का समर्थन करने का ऐलान कर सभी को चौंकाया है क्योंकि इसके जरिए पार्टी विपक्ष में भी अपनी प्रासंगिकता बनाए रखना चाहती है. ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि पार्टी अपने क्षेत्रीय राजनीतिक वर्चस्व को मजबूत करने के लिए एनसीपी और कांग्रेस के साथ कोई टकराव नहीं लेना चाहती है.
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