डीएनए हिंदी: 12 नवंबर को जब पूरा देश दिवाली का त्योहार मना रहा था, तब उत्तराखंड में 41 मजदूर हादसे का शिकार हो रहे थे. उत्तरकाशी में चारधाम प्रोजेक्ट के तहत ब्रह्माखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा में एक निर्माणधीन सुरंग धस गई. इस हादसे को 8 दिन बीत चुके लेकिन अभी तक सुरंग फंसे मजदूरों को निकाला नहीं जा सका है. मजदूरों को सुरंग से सकुशल निकालने के लिए रेस्क्यू किया जा रहा है, लेकिन हर ऑपरेशन फेल हो रहा है. सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) सुरंग के ऊपर से 'लंबवत ड्रिलिंग' शुरू करने के लिए रास्ता बनाने में जुटा है.

यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुंरग के एक हिस्से के ढहने से पिछले 7 दिनों से फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग के विकल्प पर शनिवार शाम से काम शुरू किया गया. मौके पर मौजूद एक अधिकारी ने कहा कि उम्मीद है कि BRO द्वारा बनाया जा रहा रास्ता आज तैयार हो जाएगा जिससे सुरंग के ऊपर चिह्नित बिंदु तक मशीनें पहुंचाने के बाद वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू की जा सके. बताया जा रहा है कि 50 मीटर तक सुरंग धस चुकी है. उसी के सहारे मजदूर जिंदगी से जूझ रहे हैं.

प्रधानमंत्री कार्यालय के कई अधिकारी और देश-विदेश के विशेषज्ञ फंसे श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाले जाने के लिए चलाए जा रहे बचाव कार्यों की निगरानी के लिए सिलक्यारा में डटे हुए हैं. पिछले एक सप्ताह से अमल में लाई जा रही योजनाओं के इच्छित परिणाम न मिलने के बाद शनिवार को प्रधानमंत्री कार्यालय में उपसचिव मंगेश घिल्डियाल और प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे सहित वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों ने 5 योजनाओं पर एक साथ काम करने का निर्णय लिया था. 

12 नवंबर से सुंरग में फंसे मजदूर
खुल्बे ने बताया कि इन पांच योजनाओं में सुरंग के सिलक्यारा और बड़कोट दोनों छोरों से ड्रिलिंग करने के अलावा सुरंग के ऊपर से लंबवत ड्रिलिंग और सुरंग के बायें और दाएं से ड्रिलिंग करना शामिल है. 12 नवंबर को दिवाली वाले दिन की सुबह सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था और तब से 41 मजदूर उसके अंदर फंसे हुए हैं. मजदूरों को निकालने के लिए सुरंग के मलबे को भेदकर स्टील की कई पाइप डालकर 'निकलने का रास्ता' बनाने की योजना में तकनीकी अड़चन आ जाने से शुक्रवार दोपहर बाद से ही अमेरिकी ऑगर मशीन से की जा रही ड्रिलिंग का काम ठप है.

ये भी पढ़ें- गर्म कपड़े रखें तैयार, उत्तर भारत में लुढ़कने लगा पारा, IMD ने जारी किया अलर्ट  

मौके पर स्थापित नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के अनुसार, फंसे श्रमिकों तक पर्याप्त भोजन तथा अन्य जरूरी सामान पहुंचाने के लिए बड़े व्यास के पाइप डाले गए हैं. खुल्बे ने कहा कि ठोस प्रयासों से चार-पांच दिन में या उससे भी पहले अच्छे परिणाम मिल सकते हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड, तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम, सतलुज जल विद्युत निगम, टीएचडीसी इंडिया और रेल विकास निगम लिमिटेड में से प्रत्येक को एक-एक विकल्प पर काम करने का जिम्मा सौंपा गया है.

बीआरओ तथा भारतीय सेना की निर्माण इकाई भी बचाव अभियान में सहायता करेंगे. एनएचआइडीसीएल के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद को सभी केंद्रीय एजेंसियों से कॉर्डिनेशन की जिम्मेदारी दी गई है और वह सिलक्यारा में ही रहेंगे. उत्तराखंड सरकार की ओर से समन्वय के लिए सचिव नीरज खैरवाल को नोडल अधिकारी बनाया गया है. सूत्रों ने बताया कि सभी संबंधित एजेंसियों ने मौके पर अपने वरिष्ठ अधिकारी तैनात कर दिए हैं और सरकार ने उन्हें साफ निर्देश दिए हैं कि बचाव अभियान के लिए सबसे अच्छे प्रयास किए जाएं. (इनपुट- भाषा)

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
uttarkashi tunnel collaps 41 laborer trappped rescue 50 meter pipeline bro operations continues latest update
Short Title
एक सुरंग और 8 दिन, 50 मीटर पाइप के सहारे 41 जिंदगियां, आखिर कब निकलेंगे मजदूर?
Article Type
Language
Hindi
Section Hindi
Created by
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Uttarkashi Tunnel Collapse
Caption

Uttarkashi Tunnel Collapse

Date updated
Date published
Home Title

एक सुरंग और 8 दिन, 50 मीटर पाइप के सहारे 41 जिंदगियां, आखिर कब निकलेंगे मजदूर?
 

Word Count
609