22 अगस्त की शाम तकरीबन 4 बजे 45 वर्षीय पीयूष कुमार घर से खेत पर जाने के लिए निकलते हैं. उन्हें नहीं मालूम था कि ये शाम उनकी आखिरी शाम होने जा रही है. देर शाम तक जब वह खेत से वापस नहीं लौटते हैं तो परिजन उनके मोबाइल नंबर पर कॉल करते हैं, लेकिन कॉल रिसीव नहीं होती. घरवाले गांव के कुछ लोगों के साथ उन्हें ढूंढने निकलते हैं, लेकिन रात तक उनका कुछ पता नहीं चलता है. कॉल जाती रहती है पर कोई जवाब नहीं मिलता. सुबह के समय खेत के निकट एक झाड़ी में पीयूष कुमार का शव मिलता है.शव का चेहरा उधड़ा हुआ था, कंकाल चमक रहा था.शव की शिनाख़्त पीयूष कुमार के रूप में होती है.

तेंदुए के हमले में मारे जाने की हुई पुष्टि, तेंदुआ पकड़ने का भी दावा
पीयूष कुमार का शव तस्दीक़ होने के बाद उन पर तेंदुए के हमले की बाबत एक सवाल के जवाब में बिजनौर वन विभाग से एसडीओ ज्ञान सिंह ने डीएनए हिंदी से कहा, "इस साल यहां तेंदुए के हमले में छह जानें गईं हैं.जो सबूत मिले हैं उसके मुताबिक़ पीयूष कुमार की जान तेंदुए ने ही ली है.' उन्होंने आगे कहा, 'हाल ही में दो अन्य किलिंग भी हुई हैं जिनमें एक महिला और किशोरी शामिल हैं, उन हमलों का शक भी एक ही तेंदुए पर है.हम लगातार इस तरफ कोशिश में हैं कि ये तीनों हमले और मौत के लिए क्या एक ही तेंदुआ ज़िम्मेदार है, इसकी किसी तरह पुष्टि हो जाए, हालांकि बहुत मुमकिन है कि ये तीनों ही हमले एक ही तेंदुए ने किए हों. हमनें बुधवार को क्षेत्र से जो तेंदुआ पकड़ा है पूरी ये ही संभावना है कि उसने ही ये तीनों किलिंग की हैं.'

बीते 22 जुलाई को इसी क्षेत्र के गांव सिसोना पिलाना की रहने वाली लगभग 15 साल की किशोरी सलोनी और 17 अगस्त को इसी गांव की लगभग 55 वर्षीय महिला संतोष देवी भी तेंदुए के हमले में जान गंवा चुकी हैं. सलोनी को तो तेंदुए ने उनकी मां बबिता के सामने ही उठाने की कोशिश की थी, लेकिन बबिता ने दरांती से तेंदुए पर हमला बोल दिया था, पर घायल सलोनी को बचाया नहीं जा सका था.

घरवालों ने कहा, वन विभाग तेंदुए पकड़ने में गंभीर नहीं?
जुलाई और अगस्त के महीने में बिजनौर के हीमपुर दीपा और हल्दौर इलाक़े में लगभग एक हफ्ते के भीतर तेंदुए के हमले के तीन मामले सामने आए हैं. ये इलाक़े आपस में सटे हुए हैं. मृतक किसान पीयूष कुमार के बेटे निखिल कुमार ने डीएनए हिंदी से कहा, " देखिए तेंदुए ने मेरे पिताजी की जान ले ली. मैं वाराणसी में एयर फोर्स में एक पद के लिए ट्रेनिंग ले रहा हूं, मुझे यहीं फोन पर पता लगा थी कि मेरे पिताजी को तेंदुए ने मार डाला है. पिताजी पर तेंदुए के हमला करने और उनकी मौत होने के बाद भी कई जगह तेंदुए ने इसी क्षेत्र में लोगों पर हमले किए हैं, लेकिन वन विभाग को जिस तेज़ी से काम करना चाहिए था, वो तेज़ी दिखाई नहीं दे रही है." हालांकि, इस सवाल के जवाब में एसडीओ ज्ञान सिंह कहते हैं, " इस क्षेत्र में कई तेंदुए हैं, ऐसे में वन विभाग के सामने ये बड़ी चुनौती होती है कि किलिंग करने वाले तेंदुए को किस तरह पकड़ा जाए, हालांकि अन्य तेंदुए भी पकड़ में आते हैं तो विभाग उनको भी पकड़ जंगलों के भीतर छोड़ता है."

भाकियू का प्रदर्शन जारी, वन विभाग के ख़िलाफ नाराज़गी
वर्ष 2023 से और अब तक ज़िला बिजनौर में अलग-अलग जगह तेंदुओं के हमले में हुई तमाम लोगों की मौत पर भाकियू शुरू से ही वन विभाग के ख़िलाफ धरने और प्रदर्शन कर रही है. भारतीय किसान यूनियन ज़िलाध्यक्ष सोनू चौधरी ने डीएनए हिंदी से कहा, " देखिए वन विभाग भले ही जनवरी 2023 से अब तक यानी अगस्त 2024 तक 23 मौतों की पुष्टि कर रहा है, लेकिन ये आंकड़ा कहीं ज़्यादा है. घायलों की संख्या तो सैकड़ो है. हम वन विभाग से लगातार इस बात की मांग कर रहे हैं कि जो लोग मारे हैं उनको 10-10 लाख रूपयों का मुआवज़ा हो साथ ही घायलों को भी उचित मुआवजा दिया जाए. इसके अलावा क्षेत्र में नरभक्षी तेंदुओं को चिन्हित कर किसानों को उनसे निजात दिलाई जाए.हमारी मांगे पूरी होने तक धरना जारी रहेगा." 

बुधवार को पकड़े गए तेंदुए और उसके हमले में ही तीन मौतें होने की संभावना के सवाल पर सोनू चौधरी कहते हैं, "अगर ये वो ही तेंदुआ है जिसने तीन लोगों को मारा है तो हम धरना-प्रदर्शन समाप्त करने पर विचार करेंगे, पर पहले अपने पदाधिकारियों और सदस्यों से भी विचार मंथन करेंगे."

दो केनाइन टीथ टूटे मिले, किलर होने की संभावना बढ़ी-रेंजर
बिजनौर के चिलकाना में बुधवार को वन विभाग की टीम ने जो तेंदुआ रेस्क्यू किया है उसके दो केनाइन टीथ(दांत) टूटे हुए हैं. रेंजर बिजनौर महेश गौतम डीएनए हिंदी से कहते हैं, "टाइगर हो या फिर तेंदुआ, ये शारीरिक रूप से कहीं भी कमज़ोर पड़ेंगे तो इनके नरभक्षी होने की संभावना बढ़ जाती है.रेस्क्यू किया गया नर छह साल का एक वयस्क है, उसके दो केनाइन टीथ टूटे हुए हैं, ऐसे में बहुत मुमकिन है कि उसने ही इस क्षेत्र में तीन लोगों की जान ली है, हालांकि इसकी शत-प्रतिशत पुष्टि नहीं की जा सकती है.क्षेत्र में और तेंदुए हो सकते हैं, इसलिए ग्रामीणों से जंगल जाते समय कईं सलाह दी गईं हैं."

गन्ने के खेत में छिपे होते हैं तेंदुए, एक्सीडेंटल होते हैं कईं काउंटर
दरअसल उत्तर प्रदेश का जिला बिजनौर एक कृषि बहल इलाक़ा है. यहां अधिकांश लोग गन्ने की खेती करते हैं. इसके अलावा यह क्षेत्र अमानगढ़ टाइगर रिज़र्व, हस्तिनापुर वन सेंचुरी और जिम कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व से भी सटा है.एसडीओ ज्ञान सिंह के मुताबिक़ तेंदुआ गन्ने के खेतों के बीच में छिपा हुआ होता है. अक्सर जब कभी लोग पशुओं के लिए चार लेने गन्ने की पत्तियां आदि काटते हैं तो तेंदुआ अचानक उन पर हमला कर देता है.ये एक्सीडेंटल काउंटर कहलाता है, हां विभाग इस बात पर निगाह रखता है कि कोई तेंदुआ इंसान को अपना शिकार मान उन्हें टारगेट तो नहीं कर रहा है.वैसे, समय-समय पर तेंदुओं के दिखने पर विभाग संबंधित स्थान पर पिंजरा आदि लगाकर पकड़कर उन्हें जंगलों के भीतर छोड़ता है.

'अब तक 46 तेंदुओं का रेस्क्यू हुआ'
एसडीओ ज्ञान सिंह डीएनए हिंदी से कहते हैं, " देखिए जिला बिजनौर में कुल कितने तेंदुए हैं, इस बारे में तो कोई आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं, लेकिन उनकी गणना करने के लिए वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया को लिखा गया है. वैसे एक अनुमान के तौर पर बिजनौर में 200 के लगभग तेंदुए होने की जानकारी है." एक सवाल के जवाब में ज्ञान सिंह कहते हैं, "अभी तक 46 तेंदुओं का रेस्क्यू किया जा चुका है. इसके अलावा 30 शावकों को मिलाकर कुल 76 रेस्क्यू हैं, इनमें कुछ संख्या मृतक तेंदुओं की भी है."

(बिजनौर से शहबाज अनवर की इनपुट)

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UP News: बिजनौर में तेंदुओं का आतंक, दो साल में अब तक गई 23 की जान
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बिजनौर में तेंदुए का कहर
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बिजनौर में तेंदुए का कहर

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UP News: बिजनौर में तेंदुओं का आतंक, दो साल में अब तक गई 23 की जान

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