ओडिशा की विधानसभा की कार्यवाही दूसरे दिन भी विपक्ष के हंगामे के भेंट चढ़ गई. विपक्षी बीजू जनता दल (BJD) एक सरकारी अधिकारी के साथ कथित मारपीट को लेकर राज्यपाल रघुबर दास के बेटे की गिरफ्तारी की मांग कर रही है. सत्ता पक्ष ने कहा कि सोमवार को राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विपक्ष ने व्यवधान उत्पन्न किया और यह दंडनीय अपराध है. दो बार हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी.
बीजेडी के नेता ध्रुव साहू ने विधानसभा स्पीकर के आसन पर चढ़ने का प्रयास किया. गुस्साए विधायक ने अध्यक्ष की मेज पर लगे माइक को तोड़ दिया, जिसके बाद अन्य सदस्यों ने उन्हें नीचे उतार दिया. हंगामे के कारण कोई कार्यवाही नहीं हो सकी और अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी. संसदीय कार्य मंत्री मुकेश महालिंग ने कहा कि विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान व्यवधान पैदा करना दंडनीय अपराध है.
इसी तरह सोमवार को भी सदन में हंगामा हुआ था. उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष और सदस्यों दोनों को व्यवधान पैदा करने के लिए दंडित किया जाना चाहिए. खेल एवं युवा मामलों के मंत्री सूर्यवंशी सूरज ने भी सदन के बाहर इसी तरह का बयान दिया. हालांकि, बीजद सदस्य और पूर्व मंत्री अरुण कुमार साहू ने महालिंग के दावे को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, ‘‘नेता प्रतिपक्ष और विपक्षी सदस्यों को दंडित करने की मांग करना हास्यास्पद है. अतीत में इस तरह के विरोध के लिए अब तक किसी को भी दंडित नहीं किया गया है.’
7 जुलाई को हुई थी मारपीट
राज्यपाल के बेटे ललित कुमार ने पुरी में 7 जुलाई को ओडिशा राजभवन के सहायक अनुभाग अधिकारी (एएसओ) बैकुण्ठ प्रधान से कथित तौर उस वक्त मारपीट की थी, जब वह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के दौरे के लिए ड्यूटी पर तैनात थे. एएसओ का अब गृह विभाग में तबादला कर दिया गया है. जब मलिक इस मुद्दे पर बोल रही थीं, तभी बीजद विधायक आसन के सामने आ गए और कुमार की गिरफ्तारी की मांग करने लगे.
विधानसभा अध्यक्ष सुरमा पाधी ने हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी. इसके बाद मलिक ने विधानसभा के बाहर कहा, ‘राज्य सरकार राज्यपाल के बेटे को बचा रही है. जब ओडिशा के एक अधिकारी पर राज्य से बाहर के एक व्यक्ति ने हमला किया, तब भाजपा की ओड़िया ‘अस्मिता’ कहां थी? पुलिस थाने में 12 जुलाई को प्राथमिकी दर्ज की गई थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.’
मलिक ने आरोप लगाया कि राज्य की भाजपा सरकार एक ओड़िया अधिकारी को सुरक्षा प्रदान करने में विफल रही है. राज्यपाल के बेटे को बचाकर राज्य सरकार ने ओड़िया ‘अस्मिता’ का अपमान किया है, जिसके दम पर भाजपा राज्य में सत्ता में आई थी. हम इस मामले पर मुख्यमंत्री से बयान देने की मांग करते हैं.’ उन्होंने कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन के सोमवार को दिए इस बयान को भी ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताया कि पुरी के जिलाधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं. (इनपुट-PTI)
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ओडिशा में राज्यपाल के बेटे की गिरफ्तारी की मांग को लेकर क्यों हो रहा हंगामा?