एसटीएफ ने हलाल सर्टिफिकेट देने वाली कंपनी हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया के चार पदाधिकारियों को मुंबई से गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद उनसे पूछताछ के दौरान मदनी का नाम सामने आया था. मौलाना मदनी का नाम हलाल सर्टिफिकेट मामले में आने के बाद यूपी एसटीएफ ने उन्हें, नोटिस देकर एसटीएफ मुख्यालय बुलाया था. जहां उनसे पूछताछ की गई थी.
मदनी से हुई पूछताछ
जांच में हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया के जरिए प्रोडक्ट्स के बिना वेरिफिकेशन या लैब टेस्टिंग के बिना प्रमाण पत्र जारी करने के मामले सामने आए हैं. परिषद के फाइनेंशियल रिकॉर्ड में खर्च और एक्सपेंडेचर को लेकर भी कई सवाल खड़े हुए हैं, जिन पर मदनी से पूछताछ की गई थी. मदनी इन सवालों का सही जवाब नहीं दे पाए थे.
एसटीएफ ने मौलाना से पूछा था कि हर प्रमाण पत्र के लिए 10 हजार फीस और हर एक उत्पाद के लिए एक हजार रुपये क्यों लिए जाते थे. इस बारे में मौलाना ने जो भी तथ्य बताए थे वो सही नहीं पाए गए.
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एसटीएफ ने लिया एक्शन
एसटीएफ ने ये भी पूछा था कि आपको पता है कि प्रमाण पत्र देना अवैध है, तो किस आधार पर प्रमाण पत्र दिया गया. जांच में सामने आया था कि हलाल सर्टिफिकेट बांटने से होने वाली कमाई को कई कंपनियों में डायवर्ट किया गया जिनमें से कई शेल कंपनियां होने की आशंका जताई जा रही है. इसके बारे में भी मौलाना से पूछा गया था लेकिन जांच में कई तथ्य सही नही पाए गए थे.
इस मामले का खुलासा होने के बाद हजरतगंज कोतवाली में हलाल सर्टिफिकेट देने वाली संस्थाओं चेन्नई की हलाल इंडिया प्रा. लि. (एचसीएस) दिल्ली की जमीयत उलेमा-ए- हिंद, मुंबई की हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया और जमीयत उलेमा महाराष्ट्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था. इसके बाद इनके चार पदाधिकारियों मौलाना मुदस्सिर, हबीब यूसुफ पटेल, अनवर खान और मोहम्मद ताहिर को गिरफ्तार किया था.
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