वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को लोकसभा में 2025-26 का बजट पेश किया. बजट में बिहार को लेकर जिन प्रावधानों की घोषणा हुई, उसको लेकर विपक्षी पार्टियां सरकार पर फिकरे कस रही हैं. उनका आरोप है कि ये बजट केवल बिहार के लिए है. उनका ये भी कहना है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार नीतीश कुमार की जदयू निर्भर है. इसलिए बजट में बिहार को लेकर दरियादिली दिखाई गई है. विपक्षी पार्टियों के आरोपों में चाहे जितना दम हो, लेकिन ये तो जरूर है कि बजट के जरिये नीतीश कुमार को साधने की कोशिश की गई है. इसके पीछे बीजेपी का मकसद शायद वो नहीं है जो दावा विपक्षी पार्टियां कर रही हैं. इसकी जड़ में संभवतः बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव हैं.
पाला बदलने में माहिर हैं नीतीश
बिहार में फिलहाल नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं. उनकी सरकार में बीजेपी भी शामिल है, लेकिन नीतीश का पाला बदलने का पुराना इतिहास रहा है. 2024 की शुरुआत तक नीतीश राजद और कांग्रेस की मदद से सरकार चला रहे थे. कोई आश्चर्य नहीं कि विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश को अपने पुराने मित्र लालू प्रसाद यादव की याद आने लगे. नीतीश जब भी बीजेपी की विरोधी धारा के साथ होते हैं, बिहार को स्पेशल स्टेटस का मुद्दा जरूर उठाते हैं. पिछली बार जब उन्होंने बीजेपी का साथ छोड़ा था, तब भी स्पेशल स्टेटस को बड़ा मुद्दा बताया था. इंडिया गठबंधन में रहते हुए नीतीश अक्सर बीजेपी पर बिहार की अनदेखी करने का आरोप लगाते हैं. निर्मला सीतारमण ने मिथिला पेंटिंग वाली साड़ी पहनकर बजट में जो घोषणाएं कीं, उनमें नीतीश कुमार के लिए बड़ा संदेश है. इसका स्पष्ट मतलब है कि बीजेपी बिहार में चुनावी साल में हर संभावना के हिसाब से तैयार हो रही है- नीतीश के साथ भी, नीतीश के बिना भी.
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साथ रहने पर नीतीश को भी फायदा
यदि नीतीश विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ लड़ते हैं तो उन्हें भी इन बजटीय ऐलानों का फायदा मिलेगा. बिहार के कई हिस्सों, खासकर मिथिलांचल में, बाढ़ एक बड़ी समस्या है. पश्चिमी कोसी नहर के लिए वित्तीय सहायता एक बड़ी आबादी के लिए राहत देने वाली खबर है. मखाना बोर्ड के गठन से लेकर National Institute of Food Technology, Entreprenuership And Management की स्थापना तक, बजट के तमाम प्रावधान आम लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं. एनडीए के सहयोगी दल के रूप में अब नीतीश बीजेपी से शिकायत नहीं कर सकते. न ही वे एनडीए का साथ छोड़ने के लिए बिहार की अनदेखी का बहाना बना सकते हैं.
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नीतीश की नाराजगी की अटकलें
नीतीश के पालाबदल की संभावना पर चर्चाएं इसलिए हो रही हैं क्योंकि पिछले कुछ सप्ताहों से बीजेपी से उनकी नाराजगी की अटकलें लग रही हैं. दरअसल, पिछले दिनों जब गृह मंत्री अमित शाह पटना गए थे तो उन्होंने सीएम पद के उम्मीदवार को लेकर कहा कि इसका फैसला पार्टी करेगी. इसके बाद नीतीश कुमार ने चुप्पी साध ली. विकास यात्रा के दौरान वे मीडिया से भी दूर ही नजर आए. इसी दौरान एक तरफ लालू ने नीतीश के स्वागत की बात कही तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री के बेटे की पॉलिटिकल लॉन्चिंग की खबरें आने लगीं. बीजेपी को अंदेशा हुआ कि नीतीश अपने विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. बजट के इन ऐलानों के जरिए बीजेपी ने नीतीश को निहत्था कर दिया है. वैसे भी, बीजेपी के नेता बिहार में अपने दम पर सरकार बनाने की चर्चा कभी बंद नहीं करते. यानी बीजेपी को आज नहीं तो कल 'नीतीश के बिना' वाली संभावना के लिए तैयारी करनी ही होगी. इस बजट ने बता दिया है कि बीजेपी उसकी तैयारी शुरू कर चुकी है.
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