डीएनए हिंदी: शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ दोस्ती याद आ रही है. उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी का राजधर्म पर वह निर्देश भी याद आ रहा है जो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया था. उद्धव ठाकरे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सियासत में अजेय बनने का क्रेडिट भी पुरानी शिवसेना को दे रहे हैं.
रविवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) यहां तक नहीं पहुंचते अगर बाल ठाकरे ने उन्हें तब बचाया नहीं होता जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें राजधर्म का पालन करने की नसीहत दी थी.
'मैंने हिंदुत्व नहीं छोड़ा, नफरत करना हिंदुत्व नहीं'
उद्धव ठाकरे ने कहा, 'मैं बीजेपी से अलग हो गया लेकिन मैंने हिंदुत्व को कभी नहीं छोड़ा. बीजेपी हिंदुत्व नहीं है. हिंदुत्व क्या है, उत्तर भारतीय इसका जवाब चाहते हैं. एक-दूसरे से नफरत करना हिंदुत्व नहीं है.'
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'हिंदुत्व का मतलब है गर्मजोशी'
उद्धव ठाकरे ने बीजेपी पर हिंदुओं के बीच नफरत पैदा करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, '25-30 साल तक शिवसेना ने राजनीतिक मित्रता की रक्षा की. हिंदुत्व का मतलब हमारे बीच गर्मजोशी है. वे किसी को नहीं चाहते थे. उन्हें अकाली दल, शिवसेना नहीं चाहिए थे.'
'पीएम मोदी की विजय में बाल ठाकरे का हाथ'
उद्धव ठाकरे ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी को 'राजधर्म' के पालन की वाजपेयी की नसीहत का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘यह बाला साहेब ठाकरे थे जिन्होंने वर्तमान प्रधानमंत्री को तब बचाया था जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी चाहते थे कि वे राजधर्म का सम्मान करें. लेकिन बालासाहेब ने यह कहते हुए हस्तक्षेप किया था कि यह समय की जरूरत है. अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो नरेंद्र मोदी यहां नहीं पहुंच पाते. अटल बिहारी वाजपेयी वाजपेयी ने राजधर्म की नसीहत वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के बाद दी थी.
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उद्धव को क्यों याद आ रहे हैं पुराने अध्याय?
उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र की राजनीति में अलग-थलग पड़ गए हैं. उनके सबसे भरोसेमंद सिपाही ने उन्हीं के सामने उनकी पार्टी तोड़ दी. एकनाथ शिंदे ने पूरे शिवसेना का अधिग्रहण कर लिया है. पुरानी शिवसेना के पास अब तो न ज्यादा विधायक बचे हैं, न ही सांसद. अलग-थलग पड़े उद्धव ठाकरे को पुराने दिन याद आ रहे हैं. (इनपुट: भाषा)
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हिंदुत्व, राजधर्म, BJP से दोस्ती और पीएम मोदी को बचाने का किस्सा, उद्धव ठाकरे को क्यों याद आ रहे पुराने अध्याय?