उद्धव ने कहा, 'अदालतों का दरवाजा खटखटाने के बावजूद भी अभी तक हमें कोई इंसाफ नहीं मिला है. हमें अदालत पर पूरा भरोसा है, लेकिन अब न्याय मिलने में हो रही देरी को ध्यान में रखते हुए हमने लोगों के बीच में जाने का फैसला किया है, ताकि हमें न्याय मिलने का मार्ग प्रशस्त हो सकें. जनता इन लोगों को जवाब देगी. ये लोग जनता को बेवकूफ नहीं बना सकते हैं.'
उन्होंने कहा, 'हम ढाई साल से अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं. हमारे हाथ दुखने लगे हैं. अभी तक हमें न्याय नहीं मिला है, लेकिन हमें पूरी उम्मीद है कि आगामी दिनों में हमें न्याय मिलने का मार्ग जरूर प्रशस्त होगा. हमें कोर्ट पर पूरा भरोसा है. अदालत से हमारा भरोसा नहीं हटा है. उन्होंने शिवसेना के विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के फैसले की आलोचना की.
लोकतंत्र पर पूरा भरोसा
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि ऐसा करने से उन्हें राजनीतिक फायदा पहुंचेगा, लेकिन मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि उन्हें इससे कोई भी फायदा नहीं पहुंचने वाला है. हमें लोकतंत्र और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर पूरा भरोसा है. हमें विश्वास है कि इन लोगों को जनता की तरफ से मुंहतोड़ जवाब जरूर मिलेगा.
बता दें कि 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. इसके बाद उनकी सरकार अल्पमत में आ गई थी. उद्धव ठाकरे को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. भाजपा ने उन्हें सीएम पद की कमान सौंपी.
इसके बाद असली शिवसेना कौन है, वाले मुद्दे को लेकर राज्य में सियासी बहस तेज हो गई. यह मामला अभी-भी कोर्ट में विचाराधीन है. अब इसी मुद्दे का जिक्र कर उद्धव ठाकरे ने आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए निराशा जाहिर की है. उन्होंने कहा कि हम कई बार कोर्ट का रुख कर चुके हैं, लेकिन न्याय मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. (PTI इनपुट के साथ)
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