Tirupati Balaji Laddu: तिरुपति बालाजी मंदिर दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है. जब से मंदिर के तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर के प्रसाद में मिलावट की पुष्टि हुई है तब से ये और भी अधिक चर्चा का केंद्र बन गया है. टेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, प्रसाद बनाने वाले घी में जानवरों की चर्बी की हुई पुष्टि हुई है. इसका दावा टीडीपी ने किया है. 

लड्डू बनाने में घटिया सामग्री और पशु चर्बी के कथित दावे के बाद देश में लगातार इसकी जांच की मांग हो रही है. टीडीपी प्रवक्ता अनम वेंकट रमण रेड्डी ने संवाददाताओं कथित प्रयोगशाला रिपोर्ट दिखाई, जिसमें दिए गए घी के नमूने में “गोमांस की चर्बी” की मौजूदगी की पुष्टि की गई थी.

क्या है लड्डुओं के प्रसाद का महत्व
लेकिन क्या आप जानते हैं कि तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डुओं भोग को लेकर क्या मान्यता है, और तिरुपति बालाजी मंदिर में सबसे पहले लड्डुओं का भोग किसने लगाया था. दरअसल मान्यता है कि जो भी भक्त अपनी मुराद लेकर आते हैं, वे कभी भी खाली हाथ नहीं लौटते हैं. जिन भक्तों की मुराद पूरी हो जाती है वो यहां सोना, चांदी, पैसा, फल और भी कई चीजों का दान करते हैं. 

तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर को लड्डुओं के प्रसाद को प्रभु की कृष्या के रूप देखा जाता है. इन लड्डुओं को अध्यात्म और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है. 

सबसे पहले किसने लगाया प्रसाद
जब पहाड़ी पर बाला जी महाराज की मूर्ति की स्थापना की गई तो पुजारियों ने सोचा कि अब भगवान वेंकटेश्वर को प्रसाद किस चीज का लगाया जाए. तभी वहां एक बुढ़िया हाथ में लड्डू लेकर आई और कहा कि ये लो भगवान को ये प्रसाद बहुत पसंद आएगा. तब से भगवान को लड्डूओं का प्रसाद लगता है. ऐसा माना जाता है कि लड्डुओं के प्रसाद की ओर खुद माता लक्ष्मी ने संकेत किया था. 

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तिरुपति बालाजी मंदिर के भोग का क्यों है इतना महत्व?
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तिरुपति बालाजी मंदिर के भोग का क्यों है इतना महत्व? 

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