डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को बाघ जनगणना के ताजा आंकड़े (Tiger Census Data) जारी किए. पिछली जनगणना 2018 में हुई थी और तब देशभर में 2,967 बाघ थे. साल 2022 तक इस संख्या में इजाफा हुआ है और देश में बाघों की संख्या 3167 पहुंच गई है. भारत में साल 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरुआत की गई थी. इन 50 सालों में भारत में बाघों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. रविवार को पीएम मोदी ने खुद बांदीपुर टाइगर रिजर्व और मुदुमलाई टाइगर रिजर्व का दौरा किया.
दरअसल, भारत के आजाद होने से पहले देश में जानवरों का जमकर शिकार होता था. राजा-महाराजा जंगल में शिकार पर जाते थे. भारत के राष्ट्रीय पशु बाघ का भी जमकर शिकार होता था. दुनियाभर में बाघों की 70 फीसदी आबादी भारत में रहती है लेकिन 60 से 70 के दशक में इनकी संख्या कम होने लगी थी. पिछले 50 सालों के संरक्षण के चलते अब देश में बाघों की संख्या फिर से अच्छी-खासी हो गई है.
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क्या है प्रोजेक्ट टाइगर?
साल 1973 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बाघों की कम होती जनसंख्या को देखते हुए उनके संरक्षण की योजना बनाई. इसी के लिए प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की गई. 20वीं सदी तक भारत में बाघों की संख्या लगभग 20,000 से 40,000 के बीच में थी लेकिन 70 के दशक में बाघ महज 1,820 पर सिमट गए थे. अंधाधुंध शिकार हो रहा था. उनकी तस्करी की जा रही थी. 1973 के टाइगर प्रोजेक्ट के बाद बाघों की आबादी बढ़ने लगी और भारत के जंगलों में एक बार फिर बाघ दहाड़ने लगे.
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भारत का टाइगर प्रोजेक्ट काफी सफल रहा है. बहुत कम ही मिशन होते हैं जिनमें 100 फीसदी सफलता मिलती है. प्रोजेक्ट टाइगर अपना स्वर्ण जयंती मना रहा है. प्रोजेक्ट टाइगर की सीमा 75,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैल गया है. देश में 54 टाइगर रिजर्व हैं. यहां बाघ दहाड़ते हैं. देश में बाघों की आबादी 3,000 से ज्यादा हो गई है.
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Tiger Census 2023: पीएम मोदी ने जारी किया डेटा, 5 साल में बढ़ गए 200 बाघ