डीएनए हिन्दी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) की जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) को लेकर बनाई कई रणनीति अब असर दिखाने लगी है. जम्मू-कश्मीर में सरकार दो मोर्चों पर काम कर रही है. पहला आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई और दूसरा इस केंद्र शासित प्रदेश के आम लोगों की सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण.

सुरक्षा बलों की सख्ती असर जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में दिखने लगा है. पिछले तीन दशकों में जम्मू-कश्मीर में निर्दोष लोगों की हत्या के पीछे विदेशी आतंकवादियों का बड़ा हाथ रहा है. बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह कश्मीर दौरे पर थे. जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षा बलों ने कुछ डेटा उनके साथ शेयर किए, जो बेहद चौंकाने वाले थे. डेटा से पता चला कि फिलहाल घाटी में सिर्फ 60 स्थानीय आतंकवादी हैं. यह अब तक की सबसे कम संख्या है. साथ ही विदेशी आतंकवादियों की संख्या सिर्फ 2 से 3 बची है. पिछले कुछ महीनों में सुरक्षाबलों ने करीब 47 विदेशी आतंकियों को ढेर कर दिया है.

Jammu Kashmir में भाजपा को मिलेंगे मुस्लिम वोट? अमित शाह ने बनाया 'मेगा प्लान'

यह सफलता स्थानीय प्रशासन, केंद्रीय खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा बलों के बीच बेहतर तालमेल का परिणाम है. इन संस्थानों ने सोशल मीडिया पर भी आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाया, जिसकी वजह से सुरक्षाबलों को आतंकियों को खिलाफ सटीक जानकारी मिल पाई.

आतंकवाद रोधी आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य में आतंकवाद से संबंधित घटनाओं की संख्या में तेज गिरावट दर्ज की गई है. 2018 में 417 घटनाएं हुई थीं. 2019 में 255 घटनाएं. ध्यान रहे कि 2019 में ही मोदी सरकार ने कश्मीर में आर्टिकल 370 को निरस्त किया था. 2020 में इस तरह की घटनाएं सिर्फ 244 हुईं और 2021 में 228 घटनाएं हुईं. इस साल 30  सितंबर तक सिर्फ 90 घटनाएं हुई हैं.

जम्मू-कश्मीर में अमित शाह का बड़ा 'पॉलिटिकल दांव', पहाड़ियों को आरक्षण देने की घोषणा

सुरक्षाबलों ने 2018 में 257 आतंकियों को ढेर किया. 2019 में 157 और 2020 में 225 आतंकियों को मार गिराया. वहीं 2021 में 182 और इस साल 30 सितंबर तक 167 आतंकियों को मार गिराया है. इन 167 में से 120 स्थानीय आतंकवादी और 47 विदेशी आतंकी हैं. भले सुरक्षाबल इन्हें स्थानीय आतंकी कहती है लेकिन इनकी ट्रेनिंग पाकिस्तान के लौहार, बहावलपुर, खैबर-पख्तूनवा जैसे जिहादी फैक्ट्रियों में होती है.

इन स्थानीय युवाओं को पहले इस्लामिक जिहाद के नाम पर ब्रेनवॉश किया जाता है फिर पाकिस्तान ले जाकर ट्रेनिंग दी जाती है. वहां ये हथियारों से लैस होकर लौटते है जम्मू-कश्मीर में तबाही मचाते हैं. भले सुरक्षाबलों की सख्ती से इसमें गिरावट आई है लेकिन पाकिस्तान की आतंक फैलाने की मंशा पहले की ही तरह है.

आंकड़े बताते हैं कि 30 सितंबर 2022 तक सुरक्षाबलों ने 111 आतंकी मॉड्यूल को नष्ट किया है. इसी अवधी में पिछले साल यह संख्या 82 थी. पिछले महीने 20 आतंकी ठिकानों का भंडाफोड़ किया गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह संख्या 23 के आसपास थी.

घाटी में आतंकियों की भर्ती की रफ्तार में भी गिरावट देखने को मिल रही है. इस साल 89 आतंकियों की भर्ती हुई, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 108 था. 2018 में 206, 2029 में 143, 2020 में 172, 2021 में 137 स्थानीय युवाओं को आतंकी गतिविधियों के लिए रिक्रूट किया था.

फिलहाल मोदी सरकार का पूरा ध्यान इस केंद्र शासित प्रदेश में लोगों के सामाजिक-आर्थिक सश्क्तीकरण पर है. आतंकवाद विरोधी कार्रवाई यह सुनिश्चित करती है कि इस पूरे इलाके में शांति बनी रहे. सरकार दोनों मोर्चों पर काम कर रही है और कश्मीर घाटी में इसका असर भी दिखने लगा है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
terrorism in kashmir after article 370 Peacebuilding in Jammu and Kashmir after strong action against terror 
Short Title
मोदी-शाह की रणनीति आ रही है काम, कश्मीर घाटी में दिखने लगा रिजल्ट!
Article Type
Language
Hindi
Created by
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Narendra modi and amit shah
Caption

नरेंद्र मोदी और अमित शाह

Date updated
Date published
Home Title

मोदी-शाह की रणनीति आ रही है काम, कश्मीर घाटी में दिखने लगा रिजल्ट!