साल 1993 में हुए सीरियल ब्लास्ट केस के आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को TADA कोर्ट ने बरी कर दिया है. 1993 में हुए इन धमाकों के मामलों में कोर्ट ने 31 साल बाद फैसला सुनाया है. अब्दुली करीम टुंडा को बरी करने के अलावा, कोर्ट ने आरोपी इरफान और अब्दुल हमीद को उम्र कैद की सजा सुनाई है. वहीं, अभियोजन पक्ष ने कहा है कि वह इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगा.
31 साल तक चले इस मामले का फैसला जज महावीर कुमार गुप्ता ने लिखा. आदेश को सुनने के लिए सभी आरोपी जज के सामने पेश हुए. अब्दुल करीम टुंडा फिलहाल राजस्थान के अजमेर की जेल में बंद है. बता दें कि अयोध्या में साल 1992 में हुए बाबरी विध्वंस के बाद 1993 में कोटा, लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई की ट्रेनों में सीरियल ब्लास्ट हुए थे.
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2013 में गिरफ्तार किया गया था टुंडा
सीरियल ब्लास्ट के मामले में अब्दुल करीब टुंडा को गिरफ्तार किया गया था. सीबीआई ने अब्दुल करीम टुंडा को इन धमाकों का मास्टर माइंड माना था. बम धमाकों के 20 साल बाद साल 2013 में उसे नेपाल बॉर्डर के पास गिरफ्तार किया गया था. टुंडा के खिलाफ अलग-अलग शहरों में कई मामले चल रहे हैं.
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कौन है अब्दुल करीम टुंडा
अब्दुल करीम टुंडा पर आरोप है कि 1996 में दिल्ली में पुलिस मुख्यालय के बाहर हुए बम धमाके के मामले में वह आरोपी था. उसी साल इंटरपोल ने उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था. साल 2000 में खबर आई थी कि वह बांग्लादेश में मारा गया है. साल 2005 में लश्कर का एक आतंकी अब्दुल रज्जाक मसूद गिरफ्तार किया गया जिसने बताया कि टुंडा अभी जिंदा है. टुंडा उन 20 आतंकियों में भी शामिल था जिन्हें साल 2001 में संसद पर हुए हमले के बाद पाकिस्तान भेजने की मांग की गई थी.
आखिर में उसे 2013 में गिरफ्तार कर लिया गया. दरअसल, एक बम धमाके में उसका हाथ उड़ गया था जिससे उसका नाम 'टुंडा' पड़ गया. साल 1997-98 केदौरान लगभग 40 बम धमाके करने के आरोप में उसके खिलाफ 33 आपराधिक मुकदमे चल रहे थे. बता दें कि देशभर में TADA की सिर्फ तीन अदालतें- मुंबई, अजमेर और श्रीनगर में हैं. श्रीनगर की TADA अदालत को हाल ही में बनाया गया है.
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1993 सीरियल ब्लास्ट केस: TADA कोर्ट ने अब्दुल करीम टुंडा को किया बरी