केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 20 मार्च को एक अधिसूचना जारी करके फैक्ट चेक यूनिट बनाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन बाद ही इस अधिसूचना पर ही रोक लगा दी है. केंद्र सरकार ने यह फैक्ट चेक यूनिट इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी अमेंडमेंट रूल्स 2023 के तहत बनाई थी. इसका काम सोशल मीडिया पर पोस्ट की जाने वाली चीजों पर नजर रखना है. जब तक बॉम्बे हाई कोर्ट इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के नियमों में संशोधन के खिलाफ दायर की गई याचिका पर अपना फैसला न सुना दे.
केंद्र सरकार ने आई टी ऐक्ट 2023 के तहत 20 मार्च को एक अधिसूचना जारी करके फैक्ट चेक यूनिट का गठन किया था. इस यूनिट पर तब तक के लिए रोक लगा दी गई है जब तक कि बॉम्बे हाई कोर्ट इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रूल्स अमेंडमेंट 2023 को दी गई चुनौतियों पर विचार न कर ले.
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क्यों बनाई गई थी FCU?
कुछ समय पहले इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के नियमों में बदलाव किया गया था. नए नियमों के तहत सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए केंद्र सरकार ने इस फैक्ट चेक यूनिट का गठन किया है. फिलहाल, हाई कोर्ट का फैसला आने तक केंद्र सरकार की 20 मार्च वाली अधिसूचना प्रभावी नहीं होगी यानी फैक्ट चेक यूनिट अस्तित्व नहीं आएगी.
पिछले साल ही मोदी सरकार ने ऐलान किया था कि फैक्ट चेक यूनिट बनाई जाएगी. उस वक्त आईटी नियमों में किए गए बदलावों पर सवाल उठे थे. इसी के चलते इन नियमों को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इन नियमों के तहत कहा गया था कि अगर फैक्ट चेक यूनिट किसी जानकारी को गलत बता देती है तो उसे फिर से पब्लिश या शेयर नहीं किया जा सकेगा.
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अब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा है कि यह मामला अभिव्यक्ति की आजादी का है. नए नियमों के मुताबिक, सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई किसी जानकारी को फैक्ट चेक यूनिट गलत बताती है तो संबंधित प्लेटफॉर्म उसे हटाने के लिए बाध्य होगा. इसका असर सोशल मीडिया कंपनियों के साथ-साथ इंटरनेट और टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर पर भी पड़ेगा. कॉमेडियन कुणाल कामरा ने इन नियमों को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.
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मोदी सरकार ने कल बनाई थी Fact Check Unit, आज सुप्रीम कोर्ट ने लगा दी रोक