डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने अलवर और पानीपत तक रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर के लिए धन मुहैया नहीं कराने पर मंगलवार को दिल्ली सरकार पर नाखुशी जताई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपके पास विज्ञापनों पर खर्च करने के लिए करोड़ों रुपये है लेकिन जरूरी काम के लिए नहीं. अदालत ने कहा कि अगर एक सप्ताह के अंदर फंड नहीं दिया तो AAP सरकार के विज्ञापन फंड को सीधा आरआरटीएस प्रोजेक्ट में सीधा ट्रांसफर कर दिया.
आरआरटीएस परियोजना में दिल्ली को उत्तर प्रदेश में मेरठ, राजस्थान में अलवर और हरियाणा में पानीपत तक जोड़ने वाले सेमी-हाई स्पीड रेल कॉरिडोर बनाये जाने हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि बजटीय प्रावधान ऐसी चीज है जिस पर राज्य सरकार को गौर करना चाहिए, लेकिन अगर ऐसी राष्ट्रीय परियोजनाएं प्रभावित होती हैं और विज्ञापनों पर पैसा खर्च किया जाता है, तो वह यह निर्देश देगी कि उस कोष को इस परियोजना के लिए हस्तांतरित कर दिया जाए.
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दिल्ली सरकार को दिया एक सप्ताह का समय
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार के वकील ने 24 जुलाई को शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया था कि परियोजना के लिए भुगतान किया जाएगा. पीठ ने कहा कि हम यह निर्देश देने को बाध्य हैं कि विज्ञापन के लिए आवंटित धन उक्त परियोजना के लिए भेज दिया जाए.
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के वकील के अनुरोध पर हम एक सप्ताह तक इस आदेश को लंबित रख रहे हैं और अगर पैसा नहीं दिया गया तो आदेश लागू किया जाएगा.
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'विज्ञापन पर करोड़ों खर्च, जरूरी काम को पैसा नहीं', RRTS फंड को लेकर दिल्ली सरकार को SC की फटकार