डीएनए हिंदी: भारत में समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने से संबंधित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. सुनवाई की शुरुआत में ही केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले पर सुनवाई की ही नहीं जानी चाहिए. इस पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने दो टूक कह दिया कि हमें न सिखाएं कि किस मामले पर सुनवाई करनी है और किस पर नहीं. दोनों पक्षों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जोरदार बहस हो रही है. केंद्र की मोदी सरकार का मानना है कि समलैंगिक विवाह सिर्फ 'शहरी एलीट क्लास' का विचार है.

सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. इसमें चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एस के कौल, जस्टिस एस आर भट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पी एस नरसिम्हा शामिल हैं. केंद्र सरकार ने अपने जवाब में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का अनुरोध करने वाली याचिकाएं 'शहरी संभ्रांतवादी' विचारों को प्रतिबिंबित करती हैं. उसका यह भी तर्क था कि विवाह को मान्यता देना अनिवार्य रूप से एक विधायी कार्य है, जिस पर अदालतों को फैसला करने से बचना चाहिए.

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सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि समलैंगिकता पर होने वाली यह बहस सामाजिक-कानूनी संस्था के तौर पर मान्यता देने को लेकर है और इस पर भी बहस होनी चाहिए कि इसके लिए नियम अदालत बनाएगी या फिर देश की संसद.

इस पर CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि केंद्र सरकार के जवाब पर बाद में सुनवाई की जाएगी.

तुषार मेहता: ट्रांसजेंडर पर्सन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) ऐक्ट में कानूनी तौर पर कोई कमी नहीं है और समलैंगिक विवाह को सामाजिक और कानूनी मान्यता देने का सवाल ही नहीं है. कोर्ट को बताया गया है कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों से किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा. ट्रांसजेंडर के आरक्षण के भी प्रावधान हैं.

CJI चंद्रचूड़: बायोलॉजिक पुरुष या महिला होने का ऐसा कोई पूर्ण सिद्धांत नहीं है.

तुषार मेहता: पहले केंद्र सरकार की प्राथमिक आपत्तियों को तो देखें.

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supreme court starts hearing on same sex marriages here are inside details
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Gay Marriage: सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई, पढ़िए अदालत में किसने क्या कहा
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समलैंगिक विवाह: सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई, पढ़िए अदालत में किसने क्या कहा