सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने  पश्चिम बंगाल में 2010 से कई जातियों को दिया गया ओबीसी का दर्जा रद्द कर दिया था. अब उच्चतम न्यायालय ने एक और बड़ी बात कह दी है. दरअसल कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता. कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है. 

कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये बात कही है जिसमें पश्चिम बंगाल में 2010 से कई जातियों को दिया गया ओबीसी का दर्जा रद्द कर दिया गया था. इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई ने कहा है कि 'आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं हो सकता'.

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ओबीसी दर्जे को किया रद्द

इसके जवाब में पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा, 'यह धर्म के आधार पर नहीं है. यह पिछड़ेपन के आधार पर है'. बता दें कि सप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 2010 से कई जातियों मिले ओबीसी दर्जे को रद्द कर दिया था. इतना ही नहीं सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों और सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में उनके लिए आरक्षण को अवैध ठहराया था.

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'आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं हो सकता', सुप्रीम कोर्ट ने कई जातियों को मिले OBC क
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'आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं हो सकता', सुप्रीम कोर्ट ने कई जातियों को मिले OBC का दर्जा किया रद्द, कही बड़ी बात
 

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