डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के आकलन के लिए जिला स्तर पर एक स्थायी विशेषज्ञ समिति के गठन का अनुरोध करने वाली याचिका सोमवार को खारिज कर दी. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि यह पूरी तरह से नीतिगत मामला है. जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी इस पीठ में शामिल थे. पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा, 'आपको क्या लगता है कि अगर हम देशभर के सभी जिलों में समितियां बना देंगे तो प्रदूषण खत्म हो जाएगा?'
जनहित याचिका पर सुनवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अनिच्छा व्यक्त करने पर याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस ले ली. अजय नारायणराव गजबहार ने सर्वोच्च अदालत में यह याचिका दायर की थी. उन्होंने याचिका में प्रदूषण के आकलन के लिए जिला स्तर पर एक स्थायी विशेषज्ञ समिति गठित करने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.
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दिल्ली में बीते 24 घंटे में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 488 दर्ज किया गया. सरकार ने रविवार को AQI के 'अति गंभीर' श्रेणी में पहुंचने के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में सार्वजनिक परियोजनाओं से संबंधित निर्माण कार्य और प्रदूषण फैलाने वाले ट्रक और 4 पहिया कमर्शियल वाहन के प्रवेश पर प्रतिबंध लागू कर दिया.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है. आरके पुरम में एक्यूआई 466, आईटीओ में 402, पटपड़गंज में 471 और न्यू मोती बाग में 488 रहा है. इसके परिणामस्वरूप शहर में क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (GRAP) के चौथे व अंतिम चरण के तहत प्रतिबंध लागू किए गए, जिसमें अन्य राज्यों से केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक और BS-6 मानक का पालन करने वाले वाहनों को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति होगी. वहीं, आवश्यक सेवाओं में शामिल वाहनों को इस प्रतिबंध से छूट मिलेगी.
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क्या समितियां बनाने से पॉल्यूशन हो जाएगा खत्म? सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा सवाल