डीएनए हिंदी: केंद्र सरकार कॉलेजियम सिस्टम में बदलाव चाहती है. केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू के बयान बार-बार यह इशारा कर रहे हैं कि सरकार मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली से खुश नहीं है. गुरुवार को किरण रिजिजू ने कहा संसद में कहा कि देश की अदालतों में लंबित मामलों की संख्या पांच करोड़ की संख्या को छूने वाली है और सरकार ने इसमें कमी लाने के लिए कदम उठाए हैं लेकिन न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में उसके पास सीमित अधिकार हैं.
किरण रिजिजू ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान सप्लिमेंट्री सवालों का जवाब देते हुए कहा कि देश की अलग-अलग अदालतों में बड़ी संख्या में मामलों के लंबित होने से आम लोगों पर पड़ने वाले असर को समझा जा सकता है. उन्होंने अदालतों में बड़ी संख्या में मामलों के लंबित होने पर गहरी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि लंबित मामलों की संख्या अधिक होने का एक अहम कारण जजों की संख्या भी है.
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जजों की नियुक्ति पर सरकार के पास सीमित अधिकार
कानून मंत्री ने कहा कि जजों के रिक्त पदों को भरने के लिए केंद्र के पास बहुत अधिकार नहीं हैं और उसे इसके लिए कॉलेजियम द्वारा सुझाए गए नामों पर ही विचार करना होता है और सरकार नए नाम नहीं खोज सकती है. उन्होंने कहा कि 2015 में संसद के दोनों सदनों ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) विधेयक को सर्वसम्मति से मंजूरी दी थी और उसे दो-तिहाई राज्यों ने भी मंजूरी दी थी.
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क्यों जजों की नियुक्ति में दखल चाहती है सरकार?
किरण रिजिजू ने कहा कि देश संविधान से और लोगों की भावना से चलता है और देश की संप्रभुता लोगों के पास है. किरण रिजिजू ने कहा कि लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित कानून को रद्द कर दिया. उन्होंने कहा कि उस कानून को रद्द करने वाली पीठ में शामिल न्यायाधीशों के साथ ही कई अन्य सेवानिवृत्त न्यायाधीशों एवं न्यायविदों ने भी कहा है कि कानून रद्द करने का वह फैसला सही नहीं था. उन्होंने कहा कि देश संविधान से और लोगों की भावना से चलता है.
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कॉलेजियम में रखा जाए देश की विविधता का ध्यान
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कहा कि सरकार पूरी ताकत और पूरी योजना के साथ कदम उठाए हैं ताकि लंबित मामलों की संख्या में कमी आ सके. न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया का जिक्र करते हुए विधि मंत्री ने कहा कि इसमें सरकार हस्तक्षेप नहीं करती लेकिन कॉलेजियम को नियुक्ति के लिए नाम भेजते समय देश की विविधता का भी ख्याल रखना चाहिए. न्यायपालिका में आरक्षण नहीं होने का संदर्भ देते हुए किरण रिजिजू ने कहा कि कैबिनेट में भी कोई आरक्षण नहीं होता है लेकिन प्रधानमंत्री कैबिनेट का गठन करते समय प्रयास करते है कि विभिन्न वर्गों व क्षेत्रों को उचित प्रतिनिधित्व मिले. उन्होंने कहा कि इसी प्रकार कॉलेजियम को भी गौर करना चाहिए कि सबको प्रतिनिधित्व मिले. (इनपुट: भाषा)
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कॉलेजियम सिस्टम में बदलाव चाहती है केंद्र सरकार, कानून मंत्री के निशाने पर क्यों है जजों की नियुक्ति, समझिए