डीएनए हिंदीः राजनीतिक दलों द्वारा चुनावों में मुफ्त की योजनाओं (Free Schemes) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग द्वारा हलफनामा पेश ना करने पर नाराजगी जताई थी. वहीं केंद्र सरकार ने अपनी दलीलें कोर्ट में रखीं. कोर्ट ने इस मामले को लेकर विशेषज्ञों की समित बनाने की बात कही थी. माना जा रहा है कि कोर्ट इस पर अपना फैसला दे सकता है. वहीं चुनाव आयोग भी आज कोर्ट में हलफनामा पेश कर सकता है.
तीन सदस्यीय बेंच कर रही सुनवाई
इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यों की पीठ कर रही है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह की से मुफ्त का वादा करने वाले राजनीतिक दलों (Political Parties) की मान्यता रद्द करने की व्यवस्था की मांग की गई है. इस मामले में पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए आयोग से पूछा कि उसकी ओर से अभी तक हलफनामा दाखिल क्यों नहीं किया गया है. चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग से हलफनामा मीडिया में प्रकाशित होने पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने पूछा कि क्या हम अखबार में हलफनामा पढ़ें. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'रेवड़ी कल्चर' को लेकर विपक्षी दलों पर तंज कसा था, इसके जवाब में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि करदाताओं के साथ तब धोखा होता जब चंद साथियों के बैंक कर्ज माफ कर दिए जाते हैं.
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CJI बोले- हम नहीं बना सकते कानून
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम इस मामले में कानून नहीं ला सकते हैं. कानून बनाना सरकार का काम है. दरअसल याचिका में ऐसा वादा करने वाली पार्टियों की मान्यता रद्द करने की मांग की गई थी. कोर्ट की टिप्पणी पर याचिकाकर्ता ने कहा कि यहां सरकार भी मौजूद है. वह कानून बना सकती है. सीजेआई ने चुनाव आयोग से पूछा कि क्या पार्टियां उसे अपना घोषणा पत्र सौंपती हैं? इस पर याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा- नहीं, ऐसी कोई कानूनी बाध्यता नहीं है. सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि अधिकतर मुफ्त की योजनाओं का वादा घोषणा पत्र में नहीं होता है. नेता अपने भाषणों में इसका जिक्र सकते हैं. सीजेआई ने इस पर कहा कि ये गंभीर मुद्दा है.
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चुनावों में मुफ्त की योजनाओं पर SC में सुनवाई आज, बन सकती है विशेषज्ञों की कमेटी