डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए एयरफोर्स की 32 महिला ऑफिसरों के हक में फैसला दिया है. फैसले में कहा गया है कि एयरफोर्स की शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान स्थायी कमीशन के लिए विचार न किए जाने के फैसले को अदालत में चुनौती थी उन्हें बहाल तो नहीं किया जा सकता लेकिन उन्हें एकमुश्त पेंशन देकर फायदा पहुंचाया जा सकता है. कोर्ट के इस फैसले तक पहुंचने के लिए 32 महिला ऑफिसरों ने 12 साल तक लड़ाई लड़ी. कोर्ट ने केंद्र सरकार और एयरफोर्स से कहा कि वे 32 रिटायर महिला एसएससी अधिकारियों को उनकी योग्यता के मुताबिक स्थाई कमीशन और पेंशन देने पर विचार करें.

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इसी तरह के एक मामले में साल 2021 में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि महिला अधिकारियों को सेना में स्थायी कमीशन देने के लिए ACRs का तरीका भेदभाव करने वाला और मनमाना है. आर्मी का यह तरीका महिलाओं को स्थायी कमीशन देने का समान अवसर नहीं दे पाएगा. कोर्ट ने स्थायी कमीशन के योग्य महिला अधिकारियों को दो महीने के अंदर पदभार देने का निर्देश दिया था.

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सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि ACR यानी सर्विस का गोपनीय रिकॉर्ड मेंटेन करने की प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी हो. इसके मूल्यांकन की प्रक्रिया नए सिरे से तय की जाए ताकि किसी अधिकारी के साथ भेदभाव न हो. सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2020 में दिए अपने फैसले के बावजूद सेना में कई महिला अधिकारियों को फिटनेस और दूसरी योग्यताओं और शर्तों को पूरा करने के बावजूद स्थायी कमीशन न दिए जाने को गलत बताया था.

 

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Supreme Court court gives decision in favor of 32 IAF women air force officers will get pension
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12 साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद IAF की महिला अधिकारियों को मिली जीत
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12 साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद IAF की महिला अधिकारियों की हुई जीत, मिलेगी फुल पेंशन